बिहार में इस दफे कुदरत ने दो अलग अलग रंग दिखाए हैं। एक तरफ बारिश की वजह से बाढ़ के हालात पैदा हो गए हैं तो दूसरी तरफ दक्षिण बिहार में बिना पानी के हाल खराब है। वहां तो सूखे के आसार तक बन रहे हैं। किसानों के लिए ये साल तो सबसे ज्यादा बेदर्द मॉनसून वाला मौसम साबित हुआ है। वहीं उत्तर बिहार और कोसी के इलाके में देखा जाए तो नेपाल के जलग्रहण क्षेत्र में हो रही बारिश के कारण प्रदेश की अधिकांश नदियां उफान पर है। गंगा, गंडक, बागमती, कोसी और महानंदा नदी कई स्थानों पर खतरे के निशान के ऊपर बह रही है। केन्द्रीय जल आयोग से प्राप्त जानकारी के अनुसार कहलगांव में गंगा नदी का जलस्तर खतरे के निशान से 20 सेंटीमीटर ऊपर दर्ज किया गया।आयोग के अनुसार जलस्तर में आज रात दस बजे तक 19 सेंटीमीटर की कमी होने की संभावना है। घाघरा नदी सिवान के दरौली में खतरे के निशान से सात सेंटीमीटर ऊपर बह रही है। इसके जलस्तर में शुक्रवार सुबह आठ बजे तक 14 सेंटीमीटर की वृद्धि होने की संभावना है। इधर, गोपालगंज जिले के डुमरियाघाट में गंडक नदी खतरे के निशान से 48 सेंटीमीटर ऊपर बह रही है।

इसके जलस्तर में आज कमी आने की संभावना है। वहीं, मुजफ्फरपुर के बेनीबाद में बागमती नदी का जलस्तर खतरे के निशान से 71 सेंटीमीटर ऊपर दर्ज किया गया। इसके जलस्तर में भी कमी की संभावना है। खगड़िया जिले के बलतारा में कोसी नदी का जलस्तर खतरे के निशान से 93 सेंटीमीटर ऊपर दर्ज किया गया है।बिहार में 1 जून से 17 अगस्त तक सामान्य से 30 प्रतिशत कम बारिश हुई। मौसम विभाग के आंकड़ों के अनुसार इस दौरान राज्य में 657.6 मिलीमीटर बारिश होती है, लेकिन इस बार वास्तविक रूप से 458.1 मिलीमीटर बारिश हो पाई है। देखा जाए तो प्रभावित इलाके दक्षिण बिहार से ही ताल्ल्लुक रखते हैं। इनमें पटना, गया, नवादा, रोहतास, बक्सर और औरंगाबाद प्रमुख रूप से शामिल हैं।

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