खालिस्तान समर्थक अमृतपाल सिंह को 36 दिनों की फरारी के बाद रविवार (23 अप्रैल) को पंजाब पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया. गिरफ्तारी के बाद अमृतपाल के ऊपर राष्ट्रीय सुरक्षा कानून (NSA) के तहत मुकदमा दर्ज कर उसे असम की डिब्रूगढ़ जेल भेज दिया गया है. अमृतपाल सिंह आईएसआई के साथ मिलकर पंजाब के शांतिपूर्ण माहौल को खराब करना चाहता था. अजनाला थाने पर हमला बोलना हो या फिर दिसम्बर 2022 में कपूरथला और जालंधर में गुरुद्वारों की तोड़फोड़ में उसकी भूमिका से ये साबित हो चुका था. यही बातें उसके ऊपर एनएसए लगाने की मुख्य वजह बनीं।

पंजाब पुलिस और एजेंसियों को लगा कि अगर अमृतपाल और उसके सहयोगियों को पंजाब की जेलों में छोड़ दिया गया, तो वे अपनी आपराधिक गतिविधियों को सलाखों के पीछे से चलाएंगे, जैसा कि कई गैंगस्टर करते रहे हैं.सूत्रों के मुताबिक, अमृतपाल के खिलाफ एनएसए लगाने की सबसे प्रमुख वजह पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आईएसआई के साथ उसके रिश्ते बने. आईएसआई उसे खालिस्तान समर्थक भावनाओं को भड़काने और पंजाब में उग्रवाद को फिर से जिंदा करने के लिए टूल के रूप में इस्तेमाल कर रही थी।

बताया जाता है कि पिछले साल दुबई से भारत आने से पहले उसे जॉर्जिया में आईएसआई ने ट्रेनिंग दी थी. यही नहीं पंजाब में ड्रोन के जरिए हथियार की सप्लाई भी आईएसआई की मदद से हो रही थी.अमृतपाल के खिलाफ एनएसए लगाने का एक और आधार यह है कि उसने ईसा मसीह और हिंदू देवताओं के खिलाफ भड़काऊ भाषण देकर सांप्रदायिक माहौल को खराब किया था. पंजाब पुलिस की कार्रवाई से कुछ दिन पहले अपने एक भाषण के दौरान, उसने कहा था कि गायक सिद्धू मूसेवाला की हत्या में शामिल सिखों का इस्तेमाल “तिलक-धारी” द्वारा एक सिख को मारने के लिए किया गया था।

अमृतपाल के ऊपर युवाओं का इस्तेमाल करने और एक निजी हथियारबंद संगठन आनंदपुर खालसा फौज (एकेएफ) बनाकर गन कल्चर को बढ़ावा देने के आरोप हैं. आदेश के बावजूद उसके साथ बड़ी संख्या में हथियारबंद लोग खुलेआम चलते थे. एक अन्य चीज जो अमृतपाल के खिलाफ एनएसए की वजह बनी, वह प्रतिबंधित संगठन सिख फॉर जस्टिस के साथ उसका कथित संबंध है।

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