दिल्ली के दरियापुर कलां में नव निर्मित डॉ बी. आर. अंबेडकर स्कूल ऑफ स्पेशलाइज्ड एक्सीलेंस की नई बिल्डिंग का सीएम अरविंद केजरीवाल ने उद्घाटन किया. इस अवसर पर सीएम अरविंद केजरीवाल ने कहा कि विधानसभा चुनाव के दौरान स्थानीय लोगों ने बताया था कि बच्चियों के लिए बने स्कूल की हालत बहुत खराब है. स्कूल टूटा-फूटा हुआ है. स्थानीय लोगों ने स्कूल को ठीक करवाने की मांग की थी. उस दौरान मैंने बवाना के लोगों से वादा किया था कि हम इस स्कूल को ठीक कराएंगे. आज वो वादा डबल पूरा हो रहा है. बवाना के लोगों को अब एक नहीं, बल्कि दो स्कूल मिल रहे हैं. एक स्कूल ऑफ स्पेशलाइज्ड एक्सीलेंस है. दिल्ली के अंदर बने 35 स्कूल ऑफ स्पेशलाइज्ड एक्सीलेंस में से एक बवाना में बन चुका है. ये स्कूल इतने खास हैं कि इनमें दाखिला लेने के लिए हर साल एक लाख बच्चे परीक्षा देते हैं. जबकि कुछ हजार बच्चों को ही इन स्कूलों में दाखिला मिल पाता है. इस स्कूल में प्राइवेट स्कूल से नाम कटाकर बच्चे पढ़ने आते हैं. अब ये स्कूल बवाना में भी बन गया है. दूसरा यहां लड़कियों का स्कूल था, जिसमें लगभग 850 बच्चियां पढ़ती हैं. उनके स्कूल की बिल्डिंग टूटी-फूटी थी।
इन बच्चियों का वो स्कूल कुछ समय के लिए इसी स्पेशलाइज्ड स्कूल की बिल्डिंग में संचालित होगा. और इनके लिए पास में ही 5 एकड़ जमीन पर एक नया स्कूल बनाया जा रहा है. सीएम अरविंद केजरीवाल ने कहा कि नवनिर्मित स्कूल का दौरा करके मुझे बेहद खुशी हुई. स्कूल की लाइब्रेरी बहुत ही शानदार है, जिसे बच्चे भी देखकर काफी खुश हो जाएंगे. मैं हमेशा कहता था कि मुझे इस देश ने बहुत कुछ दिया है. मैं अच्छे स्कूल-कॉलेज में पढ़ा, आईआईटी खड़गपुर से पढ़ाई की, तब मेरी एक महीने की ट्यूशन फीस मात्र 32 रुपए होती थी. यह कुछ भी नहीं है. आईआईटी को देश में इंजीनियरिंग का सर्वश्रेष्ठ कॉलेज माना जाता है. तब भी सरकार हम से 32 रुपए फीस लेती थी. इसका मतलब मुझे इंजीनियर बनाने के लिए सरकार ने मुझ पर पैसे खर्च किए और आज मेरा फर्ज बनता है और यह मैंने ठाना है कि देश ने मुझे जो इतनी अच्छी शिक्षा दी है, मैं उससे भी अच्छी शिक्षा अपनी दिल्ली और देश के हर बच्चे को देना चाहता हूं.सीएम अरविंद केजरीवाल ने कहा कि जब हमारा देश आजाद हुआ था, उस समय अगर हम बाकी खर्चे बाद में करते और केवल एक काम कर देते कि देश के सारे सरकारी स्कूलों को शानदार बना देते. मुझे लगता है कि अगर हम 1950 में सरकारी स्कूलों को शानदार बनाने पर काम शुरू कर दिए होते, तो 1970 तक देश से गरीबी दूर हो जाती. बाकी यह बच्चे बड़े होकर पुल, रेल सब बना लेंगे और सारे काम कर लेंगे. अगर हम अपने देश के बच्चों की शिक्षा के ऊपर खर्च करें तो क्या नहीं हो सकता. कई सरकारें कहती हैं कि इतना पैसा कहां से लाएं? बहुत पैसे खर्च करने पड़ेंगे. पैसे तो सभी सरकारों के पास हैं. हमें यह निर्णय लेना है कि पैसे किस चीज पर खर्च करने हैं. दिल्ली सरकार के पास ज्यादा पैसा नहीं है? दिल्ली के पास भी उतना ही पैसा है, जितना बाकी सरकारों के पास है. मगर हमारा यह कहना है कि अगर हमने एक पीढ़ी के ऊपर शिक्षा में पैसा खर्च कर दिया तो इस देश के अंदर से गरीबी खत्म हो जाएगी।
यह काम बहुत पहले ही जो जाना चाहिए था.वहीं, पूर्व शिक्षा मंत्री मनीष सिसोदिया को याद कर सीएम अरविंद केजरीवाल काफी भावुक हो गए. उनके आंखों से आंसू झलक आए. कुछ क्षण के लिए पूरा माहौल भावनात्मक हो गया. वहां मौजूद लोगों ने अरविंद केजरीवाल और मनीष सिसोदिया जिंदाबाद के नारे लगाने लगे. इस दौरान अरविंद केजरीवाल ने कहा कि आज मनीष जी की बहुत याद आ रही है. यह मनीष जी का सपना था. ये लोग चाहते हैं कि दिल्ली की शिक्षा क्रांति खत्म हो जाए, लेकिन हम उसे खत्म नहीं होने देंगे. मनीष ने इसकी शुरुआत की थी, उनका सपना था कि हर बच्चे को अच्छी से अच्छी शिक्षा मिलनी चाहिए. इन्होंने फर्जी मुकदमें करके इतने अच्छे आदमी को इतने महीनों से जेल में डाला हुआ है. देश में इतने बड़े-बड़े डाकू घूम रहे हैं, लेकिन ये उन्हें नहीं पकड़ते हैं. अरविंद केजरीवाल ने आगे कहा कि इन्होंने मनीष सिसोदिया को इसलिए जेल में डाला हुआ है क्योंकि मनीष जी ने अच्छे स्कूल बनाकर बच्चों को अच्छी पढ़ाई दिया है. अगर मनीष जी ये सब काम नहीं कर रहे होते तो उन्हें किसी भी हालात में जेल में नहीं भेजा जाता. उन्हें तकलीफ हो रही है कि दिल्ली के अंदर इतने अच्छे स्कूल बन रहे हैं और चारो तरफ आम आदमी पार्टी का प्रचार हो रहा है. मैं देश के अंदर जहां भी जाता हूं, सभी लोग एक ही बात कहते हैं कि दिल्ली के स्कूल बहुत अच्छे बन गए हैं. बच्चों के नतीजे अच्छे आने लगे और गरीबों के बच्चों को अच्छी शिक्षा मिलने लग गई है. इसलिए इन्हें तकलीफ हो रही है. मनीष सिसोदिया जल्दी बाहर आएंगे और मुझे पूरी उम्मीद है कि सच्चाई कभी भी हार नहीं सकती है. जो लोग सच पर चलते हैं, उनका भगवान साथ देता है. अरविंद केजरीवाल ने कहा कि जब तक मनीष जी जेल में हैं, हमें और दोगुनी रफ्तार से काम करना है और बच्चों को अच्छी से अच्छी शिक्षा देनी है. अंबेडकर स्कूल ऑफ स्पेशलाइज्ड एक्सीलेंस की यह नई बिल्डिंग ग्राउंड फ्लोर के अलावा तीन मंजिला बनी है. इस स्कूल बिल्डिंग का निर्माण अक्टूबर 2020 में शुरू हुआ था और मई 2023 में पूरा कर लिया गया. करीब 69 साल पहले 1954 में स्कूल बनवाने के लिए ही यह 11 एकड़ जमीन दान में मिली थी. 1965 में दान में मिली जमीन के कुछ हिस्से पर एक स्कूल का निर्माण किया गया था, लेकिन बाद के वर्षों में स्कूल की बिल्डिंग के रखरखाव पर ध्यान नहीं दिया गया. परिणाम स्वरूप स्कूल की बिल्डिंग की हालत जर्जर होती चली गई जबकि मौजूदा वक्त में 850 स्वच्छ नामांकित हैं. वहीं, स्कूल परिसर में काफी जमीन खाली पड़ी थी. दिल्ली सरकार ने स्पेशलाइज्ड एक्सीलेंस स्कूल के लिए नई बिल्डिंग बनवाई है. स्कूल की नई बिल्डिंग में तीन ब्लॉक हैं. इसमें 50 क्लास रूम के अलावा 8 लैब्स, 2 लाइब्रेरी, ऑफिस और स्टाफ रूम, एक्टिविटी रूम, टॉयलेट हैं. बच्चों की सुविधाओं के मद्देनजर हर मंजिल पर लिफ्ट है. 200 लोगों के बैठने की क्षमता सहित पूरी तरह से वातानुकूलित बहुउद्देश्यीय हॉल है.दिल्ली सरकार का यह 35वां अम्बेडकर स्कूल ऑफ स्पेशलाइज्ड एक्सीलेंस है. पहले साल एसटीईएम (स्टेम) और मानविकी विशेषज्ञता में कक्षा 9 के लिए प्रवेश दिए जा रहे हैं. प्रत्येक क्लास के अधिकतम 4 सेक्शन होंगे. लगभग 500 छात्र दो विशेषज्ञताओं में से प्रत्येक में अध्ययन कर सकेंगे. इस बिल्डिंग का एक ब्लॉक यहां पहले से मौजूद सर्वोदय कन्या विद्यालय के लिए दिया जाएगा, जब तक कि उसकी नई बिल्डिंग बनकर तैयार न हो जाए. अत्याधुनिक प्रयोगशालाएं और पुस्तकालय इस क्षेत्र के बच्चों को विश्व स्तरीय टीचिंग-लर्निंग के अवसर प्रदान करेंगे।