दिल्ली की सियासत ने एक बार फिर से करवट ली है। मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की जमानत के बाद विपक्षी पार्टियों को भ्रष्टाचार के मुद्दे पर आरोप-प्रत्यारोप लगाना कठिन साबित होगा। जानकार मानते हैं कि अभी तक आप को इसी मुद्दे पर घेरते रहे विपक्ष की सूची में अब यह निचले पायदान पर रहेगा। इसकी जगह भाजपा व कांग्रेस को नए सिरे से रणनीति तैयार करनी पड़ेगी।उधर, पूर्व उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया के बाद केजरीवाल को जमानत मिलने से आप भाजपा व कांग्रेस पर आक्रामक होगी। रविवार को पार्टी दफ्तर में कार्यकर्ताओं के संबोधन में केजरीवाल इसकी झलक भी पेश करेंगे।आम आदमी पार्टी के दो शीर्ष नेताओं के जेल से बाहर आने पर पार्टी काफी उत्साहित है। हरियाणा और दिल्ली विधानसभा चुनाव से पहले दोनों शीर्ष नेताओं का बाहर आना एक बड़ी राहत है। उधर कांग्रेस और भाजपा के लिए किसी रणनीति चुनौती से कम नहीं है। जमानत पर छूटे केजरीवाल के प्रति सहानुभूति मिल सकती है।वहीं, विपक्षी पार्टी के बार-बार भ्रष्टाचार के मुद्दे पर घेरने की नीति को एक तरह का झटका है। रणनीतिकारों की मानें तो इसका लाभ केजरीवाल को मिलेगा। केजरीवाल के बाहर आते ही राजनीतिक सरगर्मियां भी अचानक तेजी से बदलती हुई दिख रही हैं। इससे भाजपा भी अलर्ट मोड में है। माना जा रहा है कि बैकफुट पर दिख रही आम आदमी पार्टी की राजनीति एक बार फिर आक्रामक होगी।

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