जब से बिहार के शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव केके पाठक ने बिहार की शिक्षा व्यवस्था को ठीक करने का बीड़ा उठाया है। तब से शिक्षा विभाग में एक के बाद एक चौकाने वाले नियम जारी किए जा रहे हैं। कभी 60 फीसद से कम बच्चों की उपस्थिति पर वेतन काटने का आदेश तो कभी स्कूल के घंटों के दौरान कोचिंग संस्थानों को खोलने पर रोक लगाना। हालांकि केके पाठक के आदेश के बाद सरकारी स्कूलों में अप्रत्याशित बदलाव देखने को मिला है। लेकिन अब शिक्षा विभाग की ओर से सरकारी स्कूल के हेडमास्टर को नया आदेश दिया है। सरकार का आदेश है कि स्कूल के हेडमास्टर बोरा बेचें। जी हां, आपने सही सुना। सरकारी स्कूल के हेड मास्टर्स को अब बोरा बेचने का आदेश दिया गया है। वो भी बीस रुपए की दर से। इतना ही नहीं बोरा बेचने से जो कमाई होगी। उस पैसे को भी सरकारी खाते में जमा कराना होगा।दरअसल, सरकार की तरफ से ये आदेश उन स्कूलों के हेड मास्टर्स को दिया गया है। जहां मिड डे मील बनाया जाता है। सरकार का कहना है कि खाद्यान्न आपूर्ति के बाद जो बोरे खाली हो जाते हैं। उसे बेचा जाए। बेचने से जो पैसे आएं। उसे सरकारी खाते में जमा किया जाए। इतना ही नहीं इन बोरों की बिक्री दर भी बढ़ा दी गई है।
पहले इन बोरों को 10 रुपए की दर से बेचा जाता था। सरकार इन बोरों की दर 10 रुपए ही मान कर बोरों का पैसा जमा करवाती थी। ध्यान देने वाली बात ये है कि असल में ये बोरे बाजार में 20 रुपए के दर से ही बेचे जा रहे थे। लेकिन मिली जानकारी के अनुसार यहां 10 रुपए का वारा न्यारा हो रहा था। इसकी जानकारी केके पाठक को लग गई। जिसके बाद इन बोरों को 20 की दर से बेचने का आदेश जारी कर इन पैसों को सरकार के खाते में जमा कराने का भी ऑर्डर दिया गया है।इन बोरों की ज्यादा कीमत भी मिल जाती थी। मगर सरकार की ओर से दिए नए आदेश में इन बोरों की दर भी बढ़ा दिया गया है। जिसका शिक्षक संघ की ओर से विरोध किया जा रहा है। ये आदेश 14 अगस्त को जारी किया गया है। जिसके बाद विरोध और समर्थन का दौर जारी है। शिक्षक संघ की ओर से इसे शिक्षकों को परेशान करने का तरीका कहा जा रहा है। वहीं, सरकार की ओर से शिक्षा व्यवस्था को मजबूत करने और दशकों से चली आ रही शिक्षा विभाग की गलतियों को ठीक करने प्रयास बताया जा रहा है। अब देखना ये है कि सरकार की ओर से जो-जो आदेश दिए जा रहे हैं। उनका सरकारी टीचर कितना पालन करते हैं।