यह तो जाना हुआ मामला है न। भाजपा शुरू से ही आरक्षण विरोधी है। उसको आरक्षण पसंद नहीं हैं। बिहार में जो जातीय गणना करवाया गया उसके आधार पर जो रिपोर्ट आया तो उसी के अनुसार आरक्षण तय किया गया। सबसे पहले तो उन्होंने ही कानून तोड़ा जब 50% से अधिक 10% सवर्ण का आरक्षण देकर इस नियम को थोड़ा डाला। तो हम लोगों जाति आधारित करना करवाए इस गणना के आधार पर यह काम कर रहे हैं। न्यायालय में जाना तो भाजपा का पुराना काम है। लेकिन जितना न्यायालय गए हैं उतना बार हमारा काम हुआ या नहीं हुआ। हर बार उनको मूंह की खानी पड़ी है। यह बातें जदयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष ललन सिंह ने आरक्षण का दायरा बढ़ने के बाद कोर्ट में शिकायत दर्ज करने को लेकर कहा है। वहीं, भाजपा ने जो बापू सभागार में मीटिंग बुलाई थी उसमें अनर्गल बयान बाजी नहीं करते तो कहीं उनकी खबर छपती।
मंच और नीचे मिलकर मुश्किल से 100 डेढ़ सौ लोग होंगे। और बापू सभागार की क्षमता आप सभी लोग जानते हैं। इसलिए अनर्गल बात कहेंगे नहीं तो फिर मीडिया में रहेंगे कैसे। इसलिए वो ऐसा करते रहते हैं। अच्छी बात है करते रहें। ललन सिंह ने कहा है कि -भाजपा के नेता यूं ही कुछ भी अनर्गल बोलते रहते हैं, उनको बोलने दीजिए अभी 2024 का लोकसभा का चुनाव आ रहा है ना उसमें उनको सब कुछ पता चल जाएगा। उन लोगों का काम ही गलत बयान बाजी करना है। लेकिन जनता सब चीज का जवाब देगी।वहीं, उपेंद्र कुशवाहा और राय मुलाकात को लेकर उन्होंने कहा कि – छोड़िए ना उनकी बात। उनका कोई मतलब ही नहीं रह जाता है ।वह तो बेचारा खुद तोल मोल में लगे हुए हैं। सीट का एक आधा बढ़ जाए। वो बेचारे उसी में लेगे हुए हैं।वहीं, सुशील मोदी से जुड़े सवाल पर ललन सिंह ने कहा कि उनसे हमारी सहानुभूति है। सुशील जी बेचारे दो बात पहले बोल चुके हैं। जिसकी सजा वह आज तक भुगत रहे हैं। एक बात उन्होंने कहा कि नीतीश कुमार जी में प्रधानमंत्री बनने के सारे गुण हैं। दूसरी बात उन्होंने कहा कि बिहार में एक मोदी है ही तो दूसरे मोदी की क्या जरूरत है। इन्हीं दोनों बातों का खामयाजा उन्हें आज तक भुगतना पड़ रहा है। ऐसे में जब तक कुछ बोलेंगे नहीं तब तक राज्यसभा में चुनाव करवाना है तो कैसे होगा। उनके साथ हमारी सहानुभूति है वह कुछ भी बोलते रहें हमें उनकी बातों पर कोई प्रतिक्रिया नहीं देनी है।