अब मायावती ने भी अपने भतीजे आकाश आनंद को लॉन्च करने का फैसला किया है. सक्रिय राजनीति में तो वे पिछले पांच-छह सालों से हैं, लेकिन इस साल के आखिर में तीन राज्यों में होने वाले चुनाव प्रचार की जिम्मेदारी इस बार मायावती ने आकाश आनंद पर छोड़ दी है. मध्य प्रदेश, राजस्थान और छत्तीसगढ़ में बीएसपी का चुनाव प्रचार अब मायावती के भाई आनंद कुमार के बड़े बेटे आकाश आनंद पर है. वे पार्टी के नेशनल कोऑर्डिनेटर भी हैं. 16 अगस्त से वे राजस्थान में रोड शो शुरू कर रहे हैं.बीएसपी में रोड शो या फिर पद यात्रा करने की परंपरा नहीं रही है. बीएसपी अध्यक्ष मायावती आमतौर पर बड़ी चुनावी रैलियां करती हैं, जिसमें सारा जोर भीड़ जुटाने का होता है, लेकिन पहली बार बीएसपी में नंबर दो की हैसियत वाले आकाश आनंद रोड शो पर निकलने वाले हैं, जिसका प्रभारी रिश्ते में उनके ससुर और पार्टी के पूर्व राज्य सभा सांसद अशोक सिद्धार्थ को बनाया गया है. अगले महीने से मायावती की भी चुनावी राज्यों में प्रचार शुरू करने की योजना है.बहुजन समाज पार्टी आज की तारीख में न तो बीजेपी के साथ है और न ही इंडिया गठबंधन में. मायावती ने एकला चलो के फार्मूले पर राजनीति करने का फैसला किया है. इसी फार्मूले पर वे एमपी, राजस्थान, छत्तीसगढ़ और तेलंगाना में चुनाव लड़ने का मन बना चुकी हैं. मायावती को सबसे अधिक उम्मीदें राजस्थान से ही हैं।
यहां पिछले विधानसभा चुनाव में बीएसपी के छह विधायक चुने गए थे. ये पार्टी का सबसे अच्छा प्रदर्शन रहा है. बाद में सभी विधायक कांग्रेस में शामिल हो गए. ये मामला सुप्रीम कोर्ट तक गया. 2008 के चुनाव में भी बीएसपी को छह सीटें मिली थीं. इसीलिए आकाश आनंद ने रोड शो राजस्थान से ही करने का फैसला किया है.मायावती के भतीजे आकाश आनंद का रोड शो 16 अगस्त को धौलपुर से शुरू हो रहा है. बीएसपी से मिली जानकारी के मुताबिक, 3557 किलोमीटर का ये रोड शो है. राजस्थान के 33 जिलों से गुजरते हुए ये रोड शो 96 विधानसभा सीटों को कवर करेगा. बताया गया है रोड शो दो फेज में होगा. पहला चरण 16 तारीख को शुरू होकर रक्षा बंधन से ठीक पहले मतलब 29 अगस्त को खत्म होगा. हर दिन सवेरे 9 बजे रोड शो शुरू होगा और शाम 7 बजे तक चलेगा. इसका नाम ‘सर्व जन हिताय सर्व जन सुखाय संकल्प यात्रा’ रखा गया है.बीएसपी के सामने नई चुनौती भीम आर्मी वाले चंद्रशेखर आजाद बन गए हैं, जो पिछले कुछ महीनों से लगातार राजस्थान का दौरा कर रहे हैं. वे कभी दलित उत्पीड़न का मुद्दा उठाते हैं तो कभी बेरोजगारी का. सहारनपुर में जब चंद्रशेखर पर हमला हुआ था उसके बाद उन्होंने भरतपुर का दौरा किया था. इसीलिए मायावती ने रणनीति के हिसाब से अपने भतीजे आकाश आनंद को राजस्थान में लगाया है. आकाश के लिए ये पहली और बड़ी परीक्षा है. हाल में ही उन्होंने चंद्रशेखर आजाद के बारे में सवाल पूछे जाने के बारे में कह दिया था कौन चंद्रशेखर! तब से सोशल मीडिया में आकाश और चंद्रशेखर के समर्थकों में ठनी हुई है.राजस्थान में एक बार कांग्रेस तो फिर उसके बाद बीजेपी की सरकार बनने का चलन रहा है. मायावती को लगता है कि इस बार दोनों पार्टियों में कड़ा मुकाबला होगा. ऐसे में अगर किसी को स्पष्ट बहुमत न मिला तो फिर सत्ता की चाभी उनके पास आ सकती है. राजस्थान में 18 प्रतिशत दलित वोटर हैं. SC समाज के लिए 34 और आदिवासियों मतलब ST के लिए 25 सीटें रिजर्व हैं. पिछली बार बीएसपी दलितों के लिए आरक्षित एक भी सीट नहीं जीत पाई थी. उसके दो मुस्लिम और एक ST उम्मीदवार चुनाव जीतने में कामयाब रहे थे. मायावती के एक करीबी नेता ने बताया कि दौसा, झूंझनूं और भरतपुर जैसे जिलों में बीएसपी का अच्छा प्रभाव है. उन्होंने कहा कि इस बार बीएसपी आठ से दस सीटें जीत सकती हैं. मायावती पहले ही ये घोषणा कर चुकी हैं कि जरूरत पड़ने पर वे सरकार बनाने के लिए चुनाव बाद गठबंधन कर सकती हैं।