कर्नाटक में नए सीएम और डिप्टी सीएम के शपथ ग्रहण समारोह में शामिल होने गईं जम्मू-कश्मीर की पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती ने एक बार फिर केंद्र के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। उन्होंने घाटी में अनुच्छेद 370 को फिर से लागू करने की मांग करते हुए बड़ा एलान भी कर दिया। पूर्व मुखयमंत्री और पीड़ीपी प्रमुख महबूबा ने कहा कि वे जब तक घाटी में अनुच्छेद 370 को दोबारा लागू नहीं किया जाएगा तब तक वे विधानसभा चुनाव नहीं लड़ेंगी। इस दौरान उन्होंने कर्नाटक विधानसभा चुनाव परिणामों का भी जिक्र किया। उन्होंने कहा कि कर्नाटक में हुए चुनावों के परिणामों ने यह दिखा दिया है कि आपकी ताकत इन एजेंसियों की ताकत वाली सरकार को हरा सकती है।
महबूबा ने केंद्र द्वारा दिल्ली के संबंध में लाए गए अध्यादेश पर भी तंज कसा। उन्होंने कहा कि यह सभी के लिए एक वेक-अप कॉल है क्योंकि यह देश में कहीं भी हो सकता है।कर्नाटक में जम्मू-कश्मीर की पूर्व सीएम ने ‘फासीवादी’ भाजपा सरकार को सत्ता से हटाने के लिए राज्य के लोगों की सराहना की। रविवार को वहां पत्रकारों से वार्ता करते हुए उन्होंने दिल्ली के हालिया घटनाक्रमों का जिक्र करते हुए सभी को सतर्क रहने को भी कहा। उन्होंने दिल्ली के संदर्भ में सुप्रीम कोर्ट के आदेश के खिलाफ राष्ट्रपति द्वारा पारित एक अध्यादेश को लेकर कहा कि यह पूरे देश को जगाने वाला है। जम्मू-कश्मीर में जो कुछ भी हुआ वह पूरे देश में होने जा रहा है।आगे बोलते हुए उन्होंने भारतीय जनता पार्टी पर जमकर निशाना साधा।
उन्होंने कहा कि बीजेपी कोई विपक्ष नहीं चाहती है। दिल्ली सरकार को शक्तिहीन कर दिया गया है। यह सभी के साथ होने जा रहा है। उन्होंने आरोप लगाया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और भाजपा में सभी ने कर्नाटक चुनाव लड़ने के लिए धर्म का इस्तेमाल किया लेकिन फिर भी लोगों ने उन्हें वोट दिया।पीड़ीपी प्रमुख ने आगे कहा कि कर्नाटक के लोगों ने हमें रास्ता दिखाया है, कि ताकत लोकतंत्र में सत्ता एजेंसियों और संस्थानों को आपके वोट से हराया जा सकता है। मैं इस देश के संविधान, लोकतांत्रिक मूल्यों और धर्मनिरपेक्ष संस्कृति में विश्वास रखने वाले अधिकांश विपक्षी दलों को एक साथ लाने के लिए उन्हें धन्यवाद देती हूं। राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा ने कर्नाटक विधानसभा चुनाव में कांग्रेस की जीत की नींव रखी थी। इस दौरान महबूबा मुफ्ती ने जम्मू-कश्मीर में अनुच्छेद 370 को हटाने का आरोप लगाते हुए कहा कि जम्मू और कश्मीर ‘फासीवादी ताकतों’ का पहला शिकार था। जब स्वतंत्रता के समय पूरा उपमहाद्वीप सांप्रदायिक आग से जल रहा था तब मुस्लिम बहुल राज्य होने और सभी बाधाओं के बावजूद, जम्मू और कश्मीर ने भारत के विचार के साथ संरेखित करने का निर्णय लिया था। उस समय जम्मू और कश्मीर को विशेष दर्जा दिया गया था, जो सहकारी संघवाद का सबसे अच्छा उदाहरण था, लेकिन दुर्भाग्य से 2019 में भाजपा सरकार ने भारतीय संविधान के अनुच्छेद 370 को निरस्त करके राज्य को विघटित और अशक्त कर दिया था। आगे पूर्व मुख्यमंत्री ने आरोप लगाते हुए कहा कि आज हमारा राज्य दुनिया में सबसे अधिक सैन्यीकृत राज्य है। उन्होंने आरोप लगाया कि जम्मू-कश्मीर एक खुली जेल बन गया है। इस दौरान जब महबूबा मुफ्ती से शपथ ग्रहण समारोह में कई विपक्षी दलों के मुख्यमंत्रियों जैसे बीआरएस नेता के चंद्रशेखर राव, वाईएसआर कांग्रेस के वाईएस जगन मोहन रेड्डी, आप नेता अरविंद केजरीवाल और माकपा के पिनाराई विजयन को आमंत्रित नहीं करने के बारे में एक सवाल पूछा गया तो इस पर उन्होंने कांग्रेस को नसीहत दी। उन्होंने कहा कि कांग्रेस को और कुर्बानी देनी होगी अन्यथा कोई अन्य विकल्प नहीं हैं।