जम्मू-कश्मीर से निरस्त किए गए संविधान के अनुच्छेद 370 पर हाल में सुप्रीम कोर्ट की ओर से सुनाए गए फैसले पर पूर्व मुख्यमंत्री और पीडीपी प्रमुख महबूबा मुफ्ती ने कहा है कि शीर्ष अदालत का फैसला अल्लाह का निर्णय नहीं है. उन्होंने जम्मू-कश्मीर के लोगों से उम्मीद न खोने का आग्रह भी किया है.न्यूज एजेंसी पीटीआई के मुताबिक, महबूबा मुफ्ती ने रविवार (17 दिसंबर) को कुपवाड़ा में संवाददाताओं से कहा, ”हमें हिम्मत नहीं हारनी है. हम अपना संघर्ष जारी रखेंगे. सुप्रीम कोर्ट भगवान नहीं है. उसी सुप्रीम कोर्ट ने पहले कहा था कि संविधान सभा की सिफारिश के बिना अनुच्छेद 370 में संशोधन नहीं किया जा सकता है. वे भी विद्वान न्यायाधीश थे. आज कुछ अन्य न्यायाधीशों ने फैसला सुनाया. हम इसे भगवान का फैसला नहीं मान सकते.’’पीडीपी प्रमुख ने कहा कि जम्मू-कश्मीर को विशेष दर्जा देने का विरोध करने वाले लोग चाहते हैं कि हम हार मान लें लेकिन हम आखिरी सांस तक लड़ाई जारी रखेंगे. हमने बहुत बलिदान दिया है और हम उसे व्यर्थ नहीं जाने दे सकते. सुप्रीम कोर्ट ने जम्मू-कश्मीर से हटाए गए अनुच्छेद 370 को चुनौती देने वाली 22 याचिकाओं पर 11 दिसंबर को फैसला सुनाया था. चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पांच न्यायाधीशों की बेंच ने अपने फैसले में अनुच्छेद 370 का निरस्तीकरण बरकरार रखा था।

कोर्ट ने कहा था कि अनुच्छेद 370 एक अस्थायी प्रावधान था और उसे राष्ट्रपति के पास उसे रद्द करने की शक्ति है.इसी के साथ सुप्रीम कोर्ट ने निर्देश दिया था कि जम्मू-कश्मीर का पूर्ण राज्य का दर्जा जल्द दिया जाना चाहिए और 30 सितंबर 2024 तक राज्य में चुनाव कराया जाना चाहिए. अनुच्छेद 370 को लेकर सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर कांग्रेस ने कहा था कि सुप्रीम कोर्ट सर्वोच्च है और उसके फैसले से ये बहस खत्म हो गई है. एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में कांग्रेस नेता अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा था कि ये आखिरी निर्णय है और इस पर हम पुनर्विचार नहीं करेंगे.वहीं, कांग्रेस के एक और वरिष्ठ नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री पी चिदंबरम ने सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले पर असहमति जताते हुए कहा था कि उन्होंने कभी भी अनुच्छेद 370 की फिर से बहाली की बात नहीं की, इसे हटाने के तरीके का विरोध किया है।

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