क्या आपका बच्चा पढ़ाई में कमजोर है? क्या वो बिहार के किसी सरकारी स्कूल में पढ़ता है? अगर हां, तो ये खबर आपके लिए भी है। अब आपके बच्चे के लिए केके पाठक ने इसी महीने यानी दिसंबर 2023 से एक बड़े मिशन की शुरुआत कर दी है। इस मिशन के तहत वैसे बच्चों को चुना गया है जो पढ़ाई में बहुत कमजोर हैं। इनको अब अलग से 45 मिनट का समय दिया जाएगा। इन 45 मिनट के दौरान शिक्षक सिर्फ इन्हीं कमजोर बच्चों पर फोकस करेंगे। ये भी पता लगाएंगे कि बच्चा पढ़ाई में क्यों पिछड़ा? कारण पता लगाने के बाद बच्चे की दिक्कतें दूर की जाएंगी और इसी बच्चे की पढ़ाई को दुरुस्त कर दिया जाएगा।
दिसंबर से ही सूबे के सभी सरकारी स्कूलों में मिशन दक्ष शुरू होने जा रहा है। यही केके पाठक का मिशन है जिसमें पढ़ने में कमजोर बच्चों को अलग से पढ़ाया जाएगा और इनकी परीक्षा भी अलग से ही ली जाएगी। यूं समझिए कि बिहार के लाखों बच्चों के लिए स्पेशल क्लास चलेगी जो मिशन दक्ष के अंतर्गत होगी। यही नहीं, इन छात्र-छात्राओं के लिए स्पेशल एग्जाम कैलेंडर भी होगा। हर दिन इन्हें अलग से 45 मिनट दिए जाएंगे। इस 45 मिनट में इनकी स्पेशल पढ़ाई कराई जाएगी और फिर इनका अलग से इम्तिहान लिया जाएगा। मिशन दक्ष के लिए ही बिहार के सरकारी विद्यालयों को पढ़ने में कमजोर छात्र-छात्राओं की लिस्ट तैयार करने का आदेश मिला था। इसके तहत हर क्लास से 5 बच्चे चुने गए थे।मिशन दक्ष के लिए स्कूलों में एक खास समय भी तय कर दिया गया है। कमजोर बच्चों की स्पेशल क्लास स्कूल में छुट्टी होती ही शुरू होगी। ये स्पेशल क्लास हर दिन दोपहर साढ़े 3 बजे से लेकर सवा 4 बजे तक चलेगी। इसमें वो बच्चे शामिल किए जाएंगे जो अपनी किताबों को ठीक से नहीं पढ़ सकते हैं। चाहें विषय हिंदी हो या गणित। मिशन दक्ष में इन छात्र-छात्राओं के लिए 15 मार्च 2024 तक की डेटलाइन तय की गई है। यानी इस महीने तक उन्हें पढ़ने में अच्छा बनाने की जिम्मेवारी है। अगर ये बच्चे स्पेशल परीक्षा में पास नहीं हो पाए तो प्रिंसिपल को लेने के देने पड़ सकते हैं, क्योंकि शिक्षा विभाग संबंधित शिक्षक के साथ उन पर भी कार्रवाई करेगा।बिहार शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव केके पाठक ने इसको लेकर सभी जिलों के अफसरों को चिट्ठी लिखी थी। इसमें मिशन दक्ष को चलाने के लिए खास निर्देश भी दिए गए हैं।इसके लिए जिला पदाधिकारियों की अध्यक्षता में एक कमेटी भी बनाई गई है। केके पाठक का ऑर्डर है कि हर टीचर को कम से कम 5 बच्चों को पढ़ाना होगा। उन्हें कमजोर बच्चों को शैक्षणिक तौर पर गोद लेना होगा। इन बच्चों को पढ़ाई में तेज बनाने की जिम्मेवारी इन्हीं टीचरों की होगी।