वाराणसी की एमपी-एमएलए कोर्ट में अवधेश राय हत्याकांड का फैसला सुनाने के दौरान मुख्तार अंसारी वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिये दो बार पेश हुआ। वह बांदा की जेल में बंद है। अदालत में मौजूद अधिवक्ताओं के मुताबिक, दोषी करार दिए जाने और सजा सुनाने के दौरान मुख्तार अंसारी हाथ जोड़ कर और सिर झुकाए खड़ा रहा। वह थका हुआ सा दिख रहा था।दोषी करार दिए जाने से पहले उसने खुद को निर्दोष बताया और कहा कि उसे राजनीतिक रंजिश में फंसाया गया है।
वहीं, सजा सुनाए जाने के दौरान मुख्तार ने वर्ष 2005 से अब तक जेल में बिताई गई लंबी अवधि, बीमारी और अपनी अधिक उम्र का हवाला दिया। कहा कि उसे कम से कम दंड से दंडित किया जाए, लेकिन अदालत ने उम्र कैद की सजा सुनाई। उस पर 1.20 लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया है। जुर्माना अदा न करने पर मुख्तार को छह महीने की अतिरिक्त कारावास की सजा भुगतनी होगी। हालांकि, सभी सजाएं साथ चलेंगी।मुख्तार ने अब तक जेल में जो समय बिताया है, वह आजीवन कारावास की सजा में समायोजित हो जाएगी। अदालत ने बांदा के जेल अधीक्षक को निर्देशित किया और कहा कि अवधेश राय की हत्या से जुड़े मामले में अभियुक्त मुख्तार अंसारी जमानत पर है। उसकी जमानत निरस्त की जाती है।
उसे तत्काल न्यायिक अभिरक्षा में लिया जाए। इस फैसले के साथ ही तय हो गया कि अब माफिया मुख्तार अंसारी को ताउम्र जेल में ही रहना होगा।इससे पहले दिल्ली, लखनऊ और गाजीपुर की अदालतें भी मुख्तार अंसारी को सजा सुना चुकी हैं। अदालत में मुख्तार के अधिवक्ता आदित्य वर्मा ने कहा कि अभियुक्त बुजुर्ग और बीमार है। अभियुक्त को न्यूनतम दंड से दंडित किया जाए। वहीं, सहायक जिला शासकीय अधिवक्ता फौजदारी विनय कुमार सिंह ने कहा कि अभियुक्त का लंबा आपराधिक इतिहास है। अवधेश राय की हत्या दिनदहाड़े किया जाना साबित है और यह दुर्लभ से दुर्लभतम केस की श्रेणी में आता है। ऐसे में अभियुक्त को अधिकतम दंड से दंडित किया जाए।