कभी चीन के सुर में सुर मिलाने वाले नेपाल के प्रधानमंत्री पुष्‍प कमल दहल प्रचंड स्‍वदेश लौट आए हैं। नेपाल के प्रधानमंत्री प्रचंड भारत यात्रा को लेकर विपक्षी दलों के निशाने पर हैं। पूर्व प्रधानमंत्री केपी ओली ने तो यहां तक दिया कि प्रचंड की भारत यात्रा की उपलब्धि केवल 12 भैंसा है। इस बीच नेपाली विश्‍लेषकों का कहना है कि भारत और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पीएम प्रचंड को साफतौर पर बता दिया है कि वे न तो चीन की बनाई हुई बिजली लेंगे और न ही उनके एयरपोर्ट पर विमान उतारने में मदद देंगे। उन्‍होंने यह भी कहा कि प्रचंड की यात्रा के बाद अब नेपाल भारत पर और ज्‍यादा निर्भर हो गया है।नेपाली विश्‍लेषक बिश्‍वास बरल काठमांडू पोस्‍ट में लिखते हैं कि नेपाल के तीन बार के प्रधानमंत्री पुष्‍प कमल दहल प्रचंड की हाल की भारत यात्रा कोई टी पार्टी नहीं थी। भारत के आगे झुकने के बाद भी माओवादी सुप्रीमो भारतीयों से वह हासिल नहीं कर सके जो वह चाहते थे।

वह भी तब जब धर्मनिरपेक्ष छवि को बढ़ावा देने वाले प्रचंड ने मंदिरों का दौरा किया और हिंदू धर्म के प्रति अपनी निष्‍ठा का प्रदर्शन किया। बरल कहते हैं कि प्रचंड ने एक तरह से नेपाल के पूरे बिजली प्रॉजेक्‍ट को एक तरह से भारत को वर्चुअली गिफ्ट कर दिया है।बिश्‍वास बरल ने कहा कि प्रचंड की यात्रा से ठीक पहले नेपाल के राष्‍ट्रपति ने देश के लंबे समय से लटके नागरिकता संशोधन कानून को मंजूरी दे दी। उन्‍होंने दावा किया कि यह भी प्रचंड ने भारत से विचार करके किया है। नेपाल के एक अन्‍य विश्‍लेषक अजय भद्र खनल कहते हैं कि प्रचंड की यात्रा के बाद नेपाल अब भारत पर और ज्‍यादा निर्भर हो गया है। उन्‍होंने कहा कि अब नेपाल के सामने चुनौती है कि वह देश को कैसे ‘निर्भर’ से ‘एक-दूसरे पर निर्भर’ बनाया जाए।

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