बिहार में जातीय गणना मामले में बिहार सरकार अब सुप्रीम कोर्ट पहुंच गई है। बिहार सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में कैविएट अर्जी दाखिल की है कि बिना बिहार सरकार का पक्ष सुने बिना सुप्रीम कोर्ट कोई और आदेश जारी न करे। दरअसल, बीते कल ही पटना हाईकोर्ट में बिहार में जातीय गणना के मामले में बिहार सरकार को राहत देते हुए जातीय गणना जारी रखने का आदेश दिया गया था। दरअसल , जातीय गणना को लेकर कल ही बिहार सरकार को पटना हाई कोर्ट से राहत मिली थी। पटना हाई कोर्ट ने बिहार सरकार द्वारा कराये जा रहे जातिगत सर्वे और आर्थिक सामाजिक सर्वेक्षण पर लगायी रोक को हटा दिया था। इसके साथ ही इस संबंध में दायर सभी याचिका को निरस्त कर दिया।

यह फैसला हाई कोर्ट मुख्य न्यायाधीश के विनोद चंद्रन और न्यायमूर्ति पार्थसारथी का खंडपीठ ने दिया था। मालूम हो कि, जातीय गणना नीतीश कुमार के ड्रीम प्रोजेक्ट के रूप में माना जाता है। नीतीश सरकार ने 18 फरवरी 2019 और फिर 27 फरवरी 2020 को जातीय जनगणना का प्रस्ताव बिहार विधानसभा और विधान परिषद में पास करा चुकी है। इसके बाद बिहार में पहले चरण की जातिगत गणना 7 जनवरी से 21 जनवरी के बीच हुई .वहीं, दूसरे चरण की गणना 15 अप्रैल को शुरू हुई थी जिसे 15 मई तक संपन्न किया जाना था, लेकिन बीच में हाई कोर्ट के आदेश के बाद इस पर रोक लगा दी गई थी। लेकिन, अब यह रोक हटा लिया गया है और राज्य में एक बार फिर आज से जातीय गणना का काम शुरू हो चूका है।

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