बिहार में बोर्ड-निगम के पुनर्गठन के बाद अब 20 सूत्री समितियों को पुनर्जीवित करने की कवायद शुरू हो गई है। सत्ताधारी दलों का मानना है कि इससे प्रखंड से लेकर प्रदेश स्तर के नाराज नेताओं और कार्यकर्ताओं को समायोजित कर उनकी नाराजगी दूर की जा सकेगी। वैसे, बिहार में 2015 के बाद से 20 सूत्री समितियों का गठन नहीं हुआ है। प्रदेश स्तर पर इस समिति के अध्यक्ष मुख्यमंत्री होते हैं। बिहार में छह दलों की सरकार चल रही है। बोर्ड और निगम के पुनर्गठन के बाद पद नहीं मिलने के कारण कई कार्यकर्ताओं में नाराजगी है। इस स्थिति में दल लोकसभा चुनाव से पहले ऐसे नेताओं और कार्यकर्ताओं की नाराजगी दूर करना चाह रहे हैं।एक अनुमान के मुताबिक प्रखंड से लेकर प्रदेश स्तर तक अगर समितियों का पुनर्गठन हुआ तो करीब 10 हजार लोग समायोजित हो सकते हैं।

वर्ष 2010 में नीतीश कुमार की अध्यक्षता में गठित 20 सूत्री समिति में दो उपाध्यक्ष भाजपा से राधामोहन सिंह और जदयू से एजाजुल हक थे।जिला और प्रखंड स्तर पर 20 सूत्री कमेटी के लोग ना सिर्फ एक-एक योजनाओं की मॉनिटरिंग करते हैं बल्कि जनता की जरूरतों के हिसाब से योजनाओं का चयन भी करवाते हैं। ये काम आजकल पंचायतों में मुखिया और प्रखंड प्रमुख अपने स्तर से करते हैं। इसके अलावा सांसद और विधायक भी अपने-अपने स्तर से योजनाओं का सेलेक्शन करा लेते हैं। 20 सूत्री कमेटी बन जाने के बाद किसी का भी एकाधिकार नहीं चलेगा।

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