बिहार के नक्सली अब आईटीआई की पढ़ाई कर सकेंगे। इसको लेकर केंद्र सरकार की अधिसूचना के आलोक में आत्मसमर्पण सह पुनर्वासन योजना के अंतर्गत उन्हें आइटीआइ में प्रवेश के लिए जरूरी वांछित योग्यता से छूट प्रदान की गई है। इसके अलावा प्री-आइटीआइ कोर्स की भी व्यवस्था है, जहां आत्मसमर्पण करने वाले नक्सली पढ़ाई कर सकेंगे। इसके लिए राज्य में नौ आइटीआइ और 11 कौशल विकास केंद्र चिह्नित किए गए हैं। पुलिस मुख्यालय के एडीजी जितेंद्र सिंह गंगवार ने बताया कि आत्मसमर्पण सह पुनर्वासन योजना के तहत उच्चश्रेणी के वामपंथी उग्रवादियों के आत्मसमर्पण करने पर पांच लाख रुपये जबकि अन्य श्रेणी के नक्सलियों को ढाई लाख रुपये देने की व्यवस्था की गई है।
इसके अलावा हथियारों के सरेंडर करने पर अलग-अलग इंसेन्टिव दिए जाने का भी प्रविधान है।वहीं, सुरक्षाबलों के आपरेशन और पुनर्वासन योजना के कारण वामपंथ उग्रवाद में लगातार कमी दर्ज की गई है। पुलिस मुख्यालय की रिपोर्ट के अनुसार, वर्ष 2004 से 2012 तक राज्य में 22 जिले नक्सल प्रभावित थे। वर्ष 2012 से 2018 के बीच इसका दायरा 22 जिलों तक बढ़ गया जो 2021 में घटकर 16 और अब महज 10 जिले तक रह गया है।बताया जा रहा है कि, केंद्र सरकार के तरफ से जारी इस योजना की शुरुआत एक अप्रैल,2013 से की गई है।
इस योजना के तहत अभी तक 98 वामपंथी उग्रवादियों ने आत्मसमर्पण किया है। इनमें 42 नक्सलियों को योजना का लाभ स्वीकृत किया गया है। वहीं, आत्मसमर्पण करने वाले 30 वामपंथी उग्रवादियों को योजना का लाभ देने की कार्रवाई डीएम की अध्यक्षता वाला स्क्रीनिंग समिति के स्तर पर प्रक्रियाधीन है। इस दौरान सात नक्सली ऐसे रहे जिनकी आत्मसमर्पण के बाद गतिविधियां संदिग्ध पाए जाने पर लाभ अस्वीकृत कर दिया गया। वहीं, 2006 से 2021 तक कुल 279 नक्सलियों ने आत्मसमर्पण किया है।आपको बताते चलें कि,नक्सली वारदात भी 2018 में 40 थी, जो 2022 में घटकर 13 रह गई। इस साल मार्च तक 32 नक्सलियों को गिरफ्तार किया गया है, जबकि दो नक्सलियों ने आत्मसमर्पण किया है। इस दौरान पुलिस ने 12 हथियार और नौ हजार से अधिक गोलियां बरामद की हैं।