मजफ्फरपुर स्थित बाबा साहब भीमराव अम्बेडकर बिहार विश्वविद्यालय इन दिनों चर्चा में बना हुआ है। वित्तीय अनियमितता के आरोप में गुरुवार को बीयू के कुलपति, कुलसचिव, वित्तीय सलाहकार और वित्त पदाधिकारी के खिलाफ विश्वविद्यालय थाना में केस की दर्ज किया गया है। उच्च शिक्षा निदेशक रेखा कुमारी के आदेश के बाद कुलपति समेत सभी पदाधिकारियों के खिलाफ केस दर्ज हुआ है। ऐसे में अब संभावना जताई जा रही है कि इस मामले को लेकर एकबार फिर राजभवन और बिहार सरकार के बीच टकराव की स्थिति उत्पन्न हो सकती है।शिक्षा विभाग की तरफ से थाना में दिए गए आवेदन के मुताबिक, दैनिक वेतन भोगी कर्मियों के भुगतान, स्टेशनरी की खरीदारी, गोपनीय प्रिंटिंग प्रेस, बिना निविदा और इकरारनामा के प्रश्न पत्र की छपाई सहित बड़े पैमाने पर वित्तीय अनियमिकता की गई थी। इस मामले को लेकर 27 सितंबर को ही कुलसचिव को इसमें संलिप्त पदाधिकारी के खिलाफ FIR करने का आदेश दिया गया था लेकिन उनकी तरफ से आनाकानी की गई, जिसके बाद कुलपति, कुलसचिव सहित चार लोगों के खिलाफ मामला दर्ज कराया गया है।पूरे मामले पर कुलपति डॉक्टर शैलेंद्र कुमार चतुर्वेदी ने कहा है कि बिना राजभवन के आदेश के केस दर्ज कराया गया हैं, इसमें बिना पक्ष जाने पुलिस प्रशासन की ओर से कार्रवाई की गई है। उन्होंने बताया कि हमने भरोसा दिलाया था कि विश्वविद्यालय की हालत में सुधार लाया जाएगा। 126 दिनों में अबतक 50 से अधिक परीक्षाएं ली जा चुकी हैं। सत्र में भी सुधार किया जा रहा है। कुलपति ने कहा है कि अब जब केस दर्ज हो ही गया है तो वे बेल नहीं लेंगे। वहीं कुलपति ने पुलिस पर गंभीर आरोप लगाते हुए कहा कि गुरुवार की देर रात पुलिस ने यूनिवर्सिटी के हॉस्टलो में छापेमारी की।
इस दौरान लूटपाट की गई और छात्रों को पीटा गया। इसकी सूचना राजभवन को दे दी गई हैं।उधर, पुलिस की कार्रवाई से गुस्साए छात्रों ने शुक्रवार को बिहार विश्वविद्यालय में तालाबंदी कर दी और जोरदार हंगामा मचाया। छात्रों का कहना है कि कुलपति से लेकर विश्विद्यालय के अन्य पदाधिकारी लेट चल रहे सेशन को सुधारने में लगे हैं तो जानबूझकर शिक्षा विभाग और सरकार के द्वारा सभी को परेशान किया जा रहा है। सरकार और राजभवन की लड़ाई में छात्रों के भविष्य से खिलवाड़ किया जा रहा है। इस मामले को लेकर कुलपति और अन्य कर्मियों के साथ-साथ छात्र भी दो-दो हाथ करने को तैयार हैं। मामले में कुलपति और अन्य पदाधिकारियों की गिरफ्तारी होती है या फिर राजभवन कोई एक्शन लेता है, इसपर सभी की निगाहें टिकी हुई हैं। कहा जा रहा है कि अगर मामला बढ़ा तो एक बार फिर राजभवन और बिहार सरकार आमने-सामने आ सकते हैं।