बिहार में एक बार फिर जातीय आधारित गणना की रिपोर्ट में जारी किए गए आंकड़ों पर बहस छिड़ गई है. बीजेपी किसी जाति की संख्या बढ़ाने तो किसी जाति की संख्या घटाने का आरोप लगा रही है. रविवार को जेडीयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष ललन सिंह ने कहा था कि जो आंकड़े जारी किए गए हैं वो 100 फीसद सही हैं. अब सोमवार (06 नवंबर) को पूर्व उपमुख्यमंत्री और राज्यसभा सदस्य सुशील कुमार मोदी (Sushil Kumar Modi) ने ललन सिंह से कुछ सवालों के जवाब मांगे.सुशील कुमार मोदी ने कहा कि ललन सिंह को हमसे सवाल पूछने से पहले जिस गठबंधन में वो हैं उसके नेताओं से पूछना चाहिए कि आज तक उन्होंने कांग्रेस शासित राज्यों में जातीय गणना क्यों करवाई? जब चुनाव नजदीक आया और चुनाव का एलान हो गया तब कह रहे हैं कि छत्तीसगढ़ में कराएंगे. इन्हें कोई जातीय गणना से मतलब नहीं है. इसके नाम पर देश और समाज को बांटने का काम कर रहे हैं.बीजेपी नेता ने कहा कि अमित शाह ने ठीक कहा है कि यादव और मुस्लिम की संख्या बढ़ा दी गई है. 1931 में जातीय गणना हुई थी।
उस समय बिहार में 12.7 प्रतिशत यादव थे. उनकी संख्या बढ़कर 14.3 हो गई. 1931 में बिहार में मुसलमानों की जनसंख्या 14.6 प्रतिशत थी जो बढ़कर 17.7 प्रतिशत हो गई है. लालू यादव के दबाव में कुछ जातियों की संख्या बढ़ा दी गई.सुशील मोदी ने कहा, “जो अतिपिछड़ा समाज है जिसको आप कह रहे हैं कि 36 प्रतिशत है, वो इससे काफी ज्यादा है. आज बिंद, नोनिया, मल्लाह, बेलदार, वैश्य, चंद्रवंशी सारी जातियों का धरना प्रदर्शन चल रहा है. सब लोग कह रहे हैं कि हमारी संख्या को जानबूझकर कम करके बताया गया है. हम तो जातीय सर्वेक्षण कराने के पक्ष में थे. हमारी सरकार का ये निर्णय है, लेकिन आपने तो अतिपिछड़ों की हकमारी की है. इन्हें धोखा दिया है. इसका जवाब ललन सिंह दें कि इन वर्गों की संख्या कैसे घट गई।