लोकसभा चुनाव में बीजेपी के खिलाफ विपक्ष एकजुट होने की कोशिशों में लगा है. विपक्षी पार्टियों ने आगे की रणनीति को लेकर बिहार के पटना में शुक्रवार (23 जून) को बैठक की. इसी बीच ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (AIMIM) के चीफ असदुद्दीन ओवैसी ने इस पर कई सवाल उठाते हुए कहा कि मीटिंग में शामिल हुए नेताओं का ट्रैक रिकॉर्ड देखा जाना चाहिए.सांसद असदुद्दीन ओवैसी ने कहा, ”मैं नहीं चाहता कि नरेंद्र मोदी फिर से प्रधानमंत्री बने, लेकिन बैठक में गए नेताओं का पिछला रिकॉर्ड क्या है? क्या ये सही नहीं है कि कांग्रेस और बीजेपी सत्ता में रही. सीएम नीतीश कुमार रेल मंत्री थे जब गोधरा हुआ. वो बीजेपी के साथ रहे. नीतीश कुमार मुख्यमंत्री बीजेपी के कारण बने. इसके बाद महागठबंधन बनाया फिर बीजेपी में वापसी कर ली. अब फिर से उन्होंने बीजेपी छोड़ दी.” एआईएमआईएम के चीफ ओवैसी ने आगे कहा कि शिवसेना अब सेक्यूलर पार्टी बन गई है. यह वही उद्धव ठाकरे हैं जिन्होंने मुख्यमंत्री रहते हुए विधानसभा में कहा था कि उन्हें बाबरी मस्जिद गिराने पर गर्व है।
असदुद्दीन ओवैसी ने कहा सीएम अरविंद केजरीवाल वही हैं जिन्होंने बीजेपी का लोकसभा में 370 का समर्थन किया था. नीतीश कुमार वो जो कि दंगे होने पर अपने ही जिले नहीं गए थे. ऐसे में हम नहीं जानते आगे क्या होता है. देखते हैं कि भविष्य में क्या होता है. ओवैसी ने आगे कहा कि इस स्थिति में दो ही उर्दू शेर याद आते हैं. पहला इब्तिदा ए-इश्क है रोता है क्या आगे-आगे देखिए होता है क्या. हनूज़ दिल्ली दूर अस्त यानी कि दिल्ली अभी दूर है. विपक्षी दलों की मीटिंग में नीतीश कुमार के अलावा कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे, पूर्व सांसद राहुल गांधी, पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी, दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल, झारखंड के सीएम हेमंत सोरेन, समाजवादी पार्टी (सपा) के प्रमुख अखिलेश यादव, शिवसेना (यूबीटी) के अध्यक्ष उद्धव ठाकरे और राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी(NCP) के अध्यक्ष शरद पवार ने बैठक में हिस्सा लिया. साथ ही बैठक में तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन, नेशनल कांफ्रेस के नेता उमर अब्दुल्ला, पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (पीडीपी) की नेता महबूबा मुफ्ती, भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (भाकपा) के महासचिव डी राजा, मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) के महासचिव सीताराम येचुरी और कुछ अन्य नेता शामिल हुए।