चिराग पासवान और उनके चाचा पशुपति पारस भले ही एनडीए की बैठक में 18 जुलाई को एक मंच पर दिखे हों लेकिन अभी भी दोनों के बीच कई मुद्दों को लेकर तकरार जारी है. केंद्रीय मंत्री पशुपति पारस ने शनिवार को कहा कि हाजीपुर संसदीय क्षेत्र से चुनाव लड़ने का चिराग पासवान का भले ही दावा हो लेकिन इस सीट को वे छोड़ नहीं रहे हैं. उन्होंने कहा कि हाजीपुर मेरे भाई रामविलास पासवान की कर्मभूमि है. रामविलास पासवान ने मुझे अपना उत्तरदायित्व दिया और अलौली से चुनाव लड़ने को कहा था. पशुपति ने कहा कि इसी तरह रामविलास ने ही मुझे हाजीपुर से लड़ने के लिए कहा था. उन्होंने दावा किया कि रामविलास पासवान को उस समय पशुपति ने सुझाव भी दिया था कि चिराग या भाभी को लड़ाया जाय लेकिन रामविलास ने कहा था चिराग जमुई से सांसद हैं. इसलिए वे बड़े भाई के आशीर्वाद से मैंचुनाव लड़े और जीत हासिल की. उन्होंने कहा कि रामविलास पासवान को मुझपर सबसे अधिक विश्वास था. उन्होंने कहा कि भले ही 18 जुलाई की एनडीए की बैठक में हम चाचा-भतीजा एक साथ आए हों लेकिन मेरे और चिराग के बीच राजनीतिक रिश्ता नहीं है बल्कि यह सिर्फ पारिवारिक रिश्ता है. इसलिए हाजीपुर से ही मैं चुनाव लडूंगा और मेरा ये एलान है। साथ ही जब तक रहूँगा मैं एनडीए में रहूँगा. उन्होंने कहा कि पूरे देश के लोगों, खास करके बिहार के लोगो को गलतफहमी है।
मैंने एनडीए की बैठक में आने पर चिराग को दिल से आशीर्वाद दिया था. मेरा बेटा और भतीजा है इसलिए आशीर्वाद दिया. लोगों ने कहना शुरू किया है दोनों दल मिल गए है लेकिन ये गलत है। उनका दल अलग है मेरा दल अलग है।पशुपति ने कहा कि 2020 के बिहार विधानसभा चुनाव में चिराग की पार्टी तब एनडीए गठबधन में नही थी. चिराग पासवान ने अकेले चुनाव लड़ने का फैसला लिया था। जदयू के खिलाफ के साथ साथ बीजेपी के खिलाफ भी उम्मीदवार दिया। इससे चिराग के कारण एनडीए के वोट को काटने का काम किया गया और उससे राजद की जीत हुई थी। एक तरफ चिराग खुद को रामभक्त हनुमान भी कहते है और दूसरी तरफ राजद को जिताने का काम किया था। उन्होंने कहा कि हमारी पार्टी में जितने भी सांसद हैं सब हमारे साथ हैं।