सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दायर कर केंद्र को यह निर्देश देने की मांग की गई है कि वह गाजा में युद्ध लड़ रहे इजरायल को हथियार और अन्य सैन्य उपकरण निर्यात करने वाली भारतीय कंपनियों के लाइसेंस रद्द कर दे और नए लाइसेंस न दे।जनहित याचिका वरिष्ठ वकील प्रशांत भूषण और चेरिल डिसूजा के माध्यम से दायर की गई है. याचिका में कहा गया है कि भारत नरसंहार अपराध की रोकथाम के लिए अपनी शक्ति के भीतर सभी उपाय करने के लिए बाध्य है. याचिका में कहा गया है कि इसलिए भारत इजरायल को कोई भी सैन्य उपकरण या हथियार निर्यात नहीं कर सकता है. ऐसे समय में जब इस बात का गंभीर खतरा हो कि इन हथियारों का इस्तेमाल युद्ध अपराध करने के लिए किया जा सकता है।सेवानिवृत्त सिविल सेवक अशोक कुमार शर्मा सहित 11 लोगों द्वारा दायर याचिका में कहा गया है कि रक्षा मंत्रालय के तहत सार्वजनिक क्षेत्र के उद्यम सहित कंपनियों द्वारा इजराइल को सैन्य उपकरणों की आपूर्ति, संविधान के अनुच्छेद 14 और 21 के साथ-साथ अंतरराष्ट्रीय कानून के तहत भारत के दायित्वों का उल्लंघन है।याचिका में कहा गया है कि भारत में हथियारों और युद्ध सामग्री के निर्माण और निर्यात से जुड़ी कम से कम 3 कंपनियों को गाजा में चल रहे युद्ध के दौरान भी इजराइल को हथियारों और युद्ध सामग्री के निर्यात के लिए लाइसेंस दिए गए हैं. याचिका में कहा गया, ‘ये लाइसेंस विदेश व्यापार महानिदेशालय (DGFT) या रक्षा उत्पादन विभाग (DDP) से प्राप्त किए गए।ये दोहरे उपयोग और विशेष रूप से सैन्य उद्देश्यों के लिए हथियारों और युद्ध सामग्री के निर्यात को अधिकृत करते हैं. याचिका में कहा गया है कि जनवरी 2024 में रक्षा मंत्रालय के तहत सार्वजनिक क्षेत्र के उद्यम म्यूनिशन इंडिया लिमिटेड को अपने उत्पाद इजराइल भेजने की अनुमति दी गई है. अप्रैल में कंपनी ने पुनः इजरायल से उसी ऑर्डर के तहत उसी उत्पाद के निर्यात के लिए आवेदन किया।याचिका में कहा गया, ‘लाइसेंसिंग अधिकारियों द्वारा इसकी मंजूरी पर विचार किया जा रहा है. यह आवेदन डीजीएफटी के विशेष रसायन, जीव, सामग्री, उपकरण और प्रौद्योगिकी (एससीओएमईटी) प्रभाग को भेजा गया है. ये दोहरे उपयोग की श्रेणी में आने वाले हथियारों और युद्ध सामग्री के निर्यात के लिए लाइसेंस जारी करता है।