चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर ने अपनी यात्रा के दौरान बुधवार (3 मई) को नीतीश कुमार और महागठबंधन सरकार पर हमला बोला. जन सुराज पदयात्रा के 214वें दिन की शुरुआत उन्होंने वैशाली के महुआ प्रखंड अंतर्गत समसपुरा पंचायत से की. महुआ प्रखंड में मीडिया संवाद के दौरान आनंद मोहन की रिहाई से जुड़े सवाल का जवाब देते हुए पीके ने कहा कि नीतीश कुमार ने राजनेता और प्रशासक के तौर पर सरेंडर कर दिया है. ये स्थिति हो गई है कि मैं मुख्यमंत्री बना रहूं बाकी बिहार में जिसको जो करना है वो कर सकता है.पीके ने सवालों के जवाब में एक तरह से सबूत भी दे दिया।
कहा कि नीतीश कुमार की ये स्थिति आनंद मोहन की रिहाई से नहीं हुई है, उससे पहले जब महागठबंधन की सरकार बनी थी उस समय से नीतीश कुमार इस तरह के फैसले ले रहे हैं. महागठबंधन के मंत्रिमंडल में चार ऐसे मंत्री हैं जिनका नाम आरजेडी की तरफ से 2015 में भी प्रस्तावित किया गया था, लेकिन उनकी दागदार छवि को देखते हुए मंत्रिमंडल में उन्हें शामिल नहीं किया गया था. वही चार लोग आज मंत्रिमंडल में नीतीश कुमार के अगल-बगल में बैठे हुए हैं।
पीके ने आगे कहा कि आनंद मोहन की रिहाई से एक बात ये स्पष्ट हो रही है कि नीतीश कुमार जाति की राजनीति करते हैं, जिसकी हत्या हुई वह दलित समाज के गरीब परिवार का व्यक्ति था. नीतीश कुमार जो दलितों और पिछड़ों की राजनीति करने का दावा करते हैं, ये उस समाज के सामने नंगे हो गए हैं. जब आपको वोट का लाभ दिखता है तब आप गरीब, पिछड़ा और दलित सबको भूल जाते हैं. ये जो दलितों की राजनीति है वो सिर्फ अपने लाभ तक है, और ये अपने परिवार और वोट तक ही सीमित रह जाती है।