विधानसभा की चार सीटों पर हो रहे उपचुनाव को विधानसभा चुनाव 2025 से पहले राज्य की राजनीति का ‘लिटमस टेस्ट’ माना जा रहा है. चुनावी समीकरणों की नई तस्वीर उभर सकती है. जिन चार सीटों पर 13 नवंबर को वोट डाले जाएंगे, उनमें से तीन सीटों पर महागठबंधन का कब्जा था, जबकि एक सीट एनडीए के हिस्से में थी. इन उपचुनावों में महागठबंधन और एनडीए के साथ-साथ हाल ही में गठित जन सुराज पार्टी की साख भी दांव पर लगी है।राजनीति के जानकार इस उपचुनाव को विधानसभा चुनाव 2025 का सेमीफाइनल बता रहे हैं. इसलिए उपचुनाव में नीतीश कुमार और एनडीए के वरिष्ठ नेताओं ने चुनाव प्रचार में ताकत लगाई है. तेजस्वी यादव, मुकेश सहनी और महागठबंधन के वरिष्ठ नेताओं ने भी ताकत झोंकी है. नीतीश कुमार ने 10 और 11 नवंबर को प्रचार किया।

अंतिम दिन लालू प्रसाद यादव ने भी बेलागंज से प्रचार कर माहौल गरमा दिया. प्रशांत किशोर ने भी प्रचार प्रसार में कोई कोर कसर नहीं छोड़ी।जन सुराज से सुशील कुमार कुशवाहा चुनाव मैदान में हैं. वहीं बसपा से सतीश कुमार सिंह यादव चुनाव मैदान में हैं. सतीश कुमार अंबिका सिंह के भतीजे हैं. अंबिका सिंह 2009 और 2010 में राजद के टिकट पर जीत हासिल की थी. 2020 में राजद ने टिकट नहीं दिया. चुनाव लड़े, राजद उम्मीदवार से केवल 182 वोट से ही पिछड़ गए. जन सुराज के उम्मीदवार सुशील कुमार सिंह 2019 के लोकसभा चुनाव में बक्सर से उम्मीदवार थे. 80 हजार वोट आया था. रामगढ़, बक्सर लोकसभा क्षेत्र में ही आता है।

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