12 जून को पटना में होने वाली नीतीश कुमार की विपक्षी एकता बैठक में कांग्रेस की ओर से राहुल गांधी या मल्लिकार्जुन खरगे में कोई शामिल नहीं होंगे. कांग्रेस अपने किसी दूसरे नेता को इस बैठक में भेजेगी, जिसके पास कोई फैसला लेने का पॉवर ही नहीं होगा. आज इस खबर पर मुहर लग गयी. कांग्रेस ने आधिकारिक तौर पर एलान कर दिया है कि विपक्षी एकता की बैठक में राहुल गांधी और मल्लिकार्जुन खरगे में से कोई शामिल नहीं होने जा रहा है।बिहार प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष अखिलेश प्रसाद सिंह ने आज मीडिया से बात करते हुए कहा कि राहुल गांधी 12 जून की विपक्षी बैठक में शामिल नहीं होंगे।

अखिलेश सिंह ने कहा कि राहुल गांधी विदेश में हैं तो फिर वे बैठक में कैसे शामिल हो सकते हैं. अखिलेश सिंह ने ये भी स्वीकारा कि कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे भी बैठक में शामिल नहीं होंगे. उन्होंने बताया कि अब तक जो जानकारी मिली है उसके मुताबिक विपक्षी एकता की बैठक में कांग्रेस की ओर से एक मुख्यमंत्री और एक अन्य नेता शामिल होंगे. बता दें कि राजद औऱ जेडीयू की ओर से दावा किया जा रहा था कि राहुल गांधी और खरगे दोनों इस बैठक में शामिल होंगे. राजद-जेडीयू की ओर से कहा जा रहा था कि राहुल गांधी से सहमति लेकर ही 12 जून को बैठक की तारीख तय की गयी है. राहुल गांधी 9 जून तक विदेश में रहेंगे लिहाजा उनकी वापसी के बाद बैठक रखा गया है. लेकिन कांग्रेस ने राजद-जेडीयू के दावों की हवा निकाल दी. कांग्रेस के आधिकारिक एलान के बाद ये तय हो गया है कि विपक्षी एकता की हवा पहले ही निकल गयी है. जिस विपक्षी एकता की बात कही जा रही है उसमें सबसे बड़ी पार्टी कांग्रेस ही है. कांग्रेस में कोई भी फैसला लेने का अधिकार गांधी परिवार को है. राहुल गांधी ही फैसले लेते हैं. हालांकि पार्टी अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे की भी राय सुनी जाती है. लेकिन दोनों में से कोई इस बैठक में शामिल नहीं होगा. अब कांग्रेस किसी मुख्यमंत्री को भेजे या दूसरे नेता को, उसे सिर्फ दूसरों की बात सुनने के अलावा कोई आधिकारिक फैसला लेने का पावर ही नहीं होगा. ऐसे में कांग्रेस बैठक में शामिल होने की रस्मअदायगी ही करेगी।

वैसे भी कांग्रेस के अंदर ही 12 जून की बैठक को लेकर भारी घमासान छिड़ा है. कांग्रेस की पंजाब औऱ दिल्ली इकाई ने अपने आलाकमान से साफ कह दिया है कि आम आदमी पार्टी औऱ अऱविंद केजरीवाल से किसी तरह के समझौते की गुंजाइश नहीं है. पंजाब में कांग्रेस विधायक दल के नेता ने तो अरविंद केजरीवाल को प्लेग जैसी खतरनाक बीमारी करार देते हुए कहा है कि पार्टी को उनसे कोसों दूर रहना चाहिये. उधर, बंगाल में कांग्रेसी नेताओं ने ममता बनर्जी के खिलाफ मोर्चा खोल रखा है. ममता बनर्जी ने दो दिन पहले बंगाल में कांग्रेस के एकमात्र विधायक को तोड़ कर अपनी पार्टी में शामिल करा लिया है. लोकसभा में कांग्रेस के संसदीय दल के नेता अधीर रंजन चौधरी ममता बनर्जी के खिलाफ लगातार बयान दे रहे हैं. जाहिर है कांग्रेस इस बैठक में सिर्फ अपनी उपस्थिति दिखाने के मूड में है ताकि उस पर विपक्षी एकता नहीं होने देने का आरोप न लगे. फिलहाल जो हालात हैं उसमें कांग्रेस का अरविंद केजरीवाल से लेकर ममता बनर्जी से तालमेल हो पाना मुमकिन नहीं दिख रहा है. उत्तर प्रदेश में अखिलेश यादव से भी कांग्रेस की तनातनी है. वहां भी सपा और कांग्रेस का तालमेल असंभव सा दिख रहा है. ऐसे में क्या 12 जून की बैठक सिर्फ दिखावा बन कर रह जायेगी. संभावना इसी की ज्यादा नजर आ रही है।

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