महंगाई के मोर्चे पर अच्छी खबर है। अगस्त महीने के खुदरा महंगाई में गिरावट आई है। मंगलवार को सरकारी आंकड़ों के अनुसार, भारत में खुदरा मुद्रास्फीति जुलाई में 7.4 प्रतिशत तक बढ़ने के बाद अगस्त में सालाना आधार पर कम होकर 6.83 प्रतिशत हो गई। विश्लेषकों को उम्मीद थी कि अनाज की बढ़ती कीमतों के कारण सितंबर में मुद्रास्फीति ऊंची रहेगी। आंकड़ों से पता चला है कि ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों में कुल मुद्रास्फीति 7.02 प्रतिशत और 6.59 प्रतिशत थी, जबकि सीएफपीआई बढ़कर क्रमशः 9.67 प्रतिशत और 10.42 प्रतिशत हो गई। आपको बता दें कि मौसमी कारण के चलते खाद्य पदार्थों की कीमतों में बढ़ोतरी से जुलाई में भारत में खुदरा मुद्रास्फीति बढ़कर 15 महीने के उच्चतम स्तर 7.4 प्रतिशत पर पहुंच गई थी। हालांकि, महंगाई में जरूर कमी आई है लेकिन अब भी यह आरबीआई के दायरे के बाहर है। आरबीआई का मुद्रास्फीति लक्ष्य 4+/- 2 प्रतिशत है। लगातार चार महीने से खुदरा महंगाई आरबीआई के लक्ष्य के बाहर है। ऐसे में क्या फिर रेपो रेट में बढ़ोतरी होगी।

बैंकिंग सेक्टर के जानकारों का कहना है कि इसकी उम्मीद काफी कम है। महंगाई मौसमी के कारण आई है। समय के साथ खत्म हो जाएगी। ऐसे में रेपो रेट फिर से बढ़ने की उम्मीद नहीं है। देश का औद्योगिक उत्पादन (आईआईपी) जुलाई महीने में 5.7 प्रतिशत बढ़ा है। राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय (एनएसओ) की ओर से मंगलवार को जारी आंकड़ों के अनुसार, औद्योगिक उत्पादन सूचकांक (आईआईपी) के आधार मापे जाने वाले औद्योगिक उत्पादन में पिछले साल इसी महीने में 2.2 प्रतिशत की वृद्धि हुई थी। आंकड़ों के मुताबिक, विनिर्माण क्षेत्र का उत्पादन जुलाई, 2023 में 4.6 प्रतिशत बढ़ा है। वहीं खनन उत्पादन में 10.7 प्रतिशत और बिजली उत्पादन में आठ प्रतिशत की वृद्धि हुई है। आंकड़ों के अनुसार, चालू वित्त वर्ष के पहले चार माह अप्रैल-जुलाई में औद्योगिक उत्पादन में 4.8 प्रतिशत की वृद्धि हुई हैं। पिछले साल की समान अवधि में औद्योगिक उत्पादन की वृद्धि 2.2 प्रतिशत रही थी।

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