जीतन राम मांझी के बेटे संतोष मांझी के इस्तीफे के बाद अब उनकी जगह पर जेडीयू विधायक रत्नेश सदा मंत्रिमंडल में शामिल होने वाले हैं. 16 जून को कैबिनेट का विस्तार होना है. रत्नेश सदा कभी रिक्शा चलाते थे, फिर विधायक बने और अब कैबिनेट में शामिल होने के बाद मंत्रालय चलाएंगे. उनके संघर्ष की कहानी गजब है. मंत्री बनने से पहले ही गांव में उत्साह है. लोगों में खुशी है. कहा जा रहा है कि कठिन परिश्रम से आज वो यहां तक पहुंचे हैं।दरअसल, रत्नेश सदा का राजनीतिक सफर 1987 से हुआ शुरू. 2010 में पहली बार जेडीयू कोटे से सोनबरसा राज सुरक्षित सीट से विधायक बने. एनडीए की जब सरकार थी उस समय सहरसा से बीजेपी विधायक डॉ. आलोक रंजन को मंत्री बनाया गया था. एनडीए की सरकार जाने के 10 महीनों के बाद से सहरसा से कोई मंत्री नहीं बना था. अब जब रत्नेश सदा का नाम मंत्रिमंडल में शामिल होने वाला है तो लोगों में काफी खुशी है।पड़ोस के रहने वाले शंभू दास ने बताया कि रत्नेश सदा महिषी थाना क्षेत्र के बलिया सिमर गांव के रहने वाले हैं. सहरसा के कहरा कुटी स्थित वार्ड नं 6 में रहते हैं. पहले रत्नेश सदा रिक्शा चलाकर अपना जीवन यापन करते थे. उनके पिता लक्ष्मी सदा मजदूरी करते थे. इनका जीवन बहुत संघर्ष के रूप में बीता और उसी का नतीजा है कि पहली बार 2010 में सोनबरसा राज विधानसभा सुरक्षित सीट से जेडीयू कोटे से विधायक बने।
चुनाव आयोग में दायर हलफनामे के अनुसार रत्नेश सदा ने स्नातक तक पढ़ाई की है. उनकी कुल घोषित चल और अचल संपत्ति 1.30 करोड़ की है. अभी तक एक भी आपराधिक मामला उन पर दर्ज नहीं हुआ है. विधायक रत्नेश सदा के तीन बेटे हैं और दो बेटियां हैं.विधायक रत्नेश सदा जेडीयू महादलित प्रकोष्ठ के अध्यक्ष हैं. इससे पहले वो पार्टी में उपाध्यक्ष समेत अन्य पदों पर भी रह चुके हैं. पहली बार वो सोनबरसा राज सुरक्षित सीट से जेडीयू के विधायक बने और लगातार तीन बार जीत मिली है. रत्नेश सदा की अपनी क्षेत्र में काफी पकड़ है. वो महादलित समुदाय से आते हैं और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के बहुत करीबी माने जाते हैं।