बिहार भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष सम्राट चौधरी ने नौ अगस्त को प्रदेश पदाधिकारियों के नामों की घोषणा की थी. सम्राट की नई कमेटी की घोषणा के बाद एक साथ कई मैसेज गया है. लोकसभा चुनाव से ठीक पहले बिहार बीजेपी की नई कमेटी को देखकर नीचे तक यह बात गई है कि अब गुटबाजी नहीं चलेगी. पार्टी निर्गुट सी हो गई है. नई कमेटी में गुट के आधार पर नेताओं को जगह नहीं दी गई है, बल्कि पार्टी हित में जो उचित हो सकता था वो किया गया. वैसे नेताओं को झटका लगा है जो सिर्फ बड़े नेताओं की गणेश परिक्रमा कर संगठन में शामिल होना चाहते थे. सम्राट चौधरी ने नई कमेटी में 38 नेताओं को जगह दी है. गिनती के चेहरे को छोड़ दें तो अधिसंख्य नए और नौजवान लोगों को दायित्व मिला है। कुछ पुराने लोग भी प्रोन्नत किए गए हैं।

नई कार्यकारिणी में पिछड़ा और अति पिछड़ा वर्ग को महत्व मिला है। साथ ही सवर्णों को भी भरपूर प्रतिनिधित्व मिला है. यानि सम्राट चौधरी ने सबको साथ लेकर चलने की ईमानदार कोशिश की है. अमूमन ऐसा होता था कि नई कमेटी घोषित होने के बाद जिन्हें जगह नहीं मिलती थी, वे नाराज होते थे. इस बार ऐसा देखने को नहीं मिला है. नई कमेटी के ऐलान के बाद सभी वर्ग के नेता खुश हैं. बीजेपी के जानकार बताते हैं कि पार्टी ऊपर से देखने में भले ही एक दिखती थी, लेकिन अंदर ही अंदर गुटों में बंटी हुई थी. नए अध्यक्ष जब अपनी कमेटी बनाते थे तो उन्हें सभी गुट के नेताओं को खुश करना पड़ता था. तब नेताओं की सिफारिश के आधार पर कमेटी में जगह मिलती थी. काम को तवज्जो नहीं मिलता था. बताया जाता है कि बिहार बीजेपी के अंदर कभी सुशील मोदी का गुट सबसे ताकतवर था. सुशील मोदी गुट में सूबे के कई बड़े नेता थे, लंबे समय तक इस गुट का संगठन पर वर्चस्व सा था. फिर नित्यानंद राय का गुट हुआ, संजय जायसवाल के कार्यकाल तक यह सब चलते रहा. हालांकि नए अध्यक्ष सम्राट चौधरी ने भी दल के वरिष्ठ नेताओं को विश्वास में लेकर ही नई कमेटी बनाई है. फिर भी लिस्ट देखने से स्पष्ट हो रहा कि इस बार सामाजिक समीकरण का विशेष तौर पर ख्याल रखा गया है. साथ ही कम उम्र के नेताओं को विशेष तरजीह दी गई है. जानकार बताते हैं कि नए अध्यक्ष ने दल के नेताओं के अंदर की गुटबाजी को पाटने की कोशिश की है. इस मत के साथ आगे बढ़ने की रणनीति है कि दल में अलग-अलग गुट नहीं रहे.सबको साथ लेकर मंजिल तय की जाय. सम्राट चौधरी ने जो नई कमेटी बनाई है उससे एक बात तो स्पष्ट है कि आगामी चुनावों को लेकर इस कमेटी का गठन किया गया है. जिस तरह से सम्राट चौधरी ने सोशल इंजीनियर का सहारा लिया है, उससे यह मैसेज गया है कि भाजपा सिर्फ अगड़ों की पार्टी नहीं है, बल्कि संगठन में भी अति पिछड़ों की भरपूर भागीदारी है. नई कमेटी की घोषणा के बाद अध्यक्ष ने नवनियुक्त प्रदेश पदाधिकारियों से स्पष्ट कह दिया है कि आपके कंधों पर पार्टी ने काफी सोच विचार कर बड़ी जिम्मेदारी दी है. उसे हर हाल में पूरा करना है. आने वाले दिनों में आप सबों को और उर्जा के साथ काम करना है. बेहतर करने वाले और आगे बढ़ेंगे. सम्राट चौधरी की टीम में सामाजिक समीकरण की बात करें तो सभी को साधने की कोशिश की गई है.नई टीम में सामान्य जाति से 17 पदाधिकारी शामिल किए गए हैं. 14 ओबीसी, चार ईबीसी और तीन एससी कोटे से पदाधिकारी बनाए गए हैं. जाति वाइज बात करें तो, भूमिहार जाति से जगन्नाथ ठाकुर, रीता शर्मा, संतोष रंजन, धीरेंद्र कुमार सिंह और अरविंद शर्मा को लिया गया है. ब्राह्मण से मिथिलेश तिवारी, संतोष पाठक, राकेश तिवारी, दिलीप मिश्रा, ज्ञान प्रकाश ओझा और सरोज झा को शामिल किया गया है. राजपूत से राजेंद्र सिंह, नूतन सिंह, अमृता भूषण, त्रिविक्रम सिंह,आशुतोष शंकर सिंह हैं. कायस्थ से राजेश वर्मा को शामिल किया गया है. कुर्मी से सरोज रंजन पटेल और प्रवीण चंद्र राय, कुशवाहा जाति से ललिता कुशवाहा, रत्नेश कुशवाहा और जितेंद्र कुशवाहा. यादव जाति से स्वदेश यादव लिए गए हैं. वहीं वैश्य से सिद्धार्थ शंभू, प्रियंवदा केसरी, संजय गुप्ता और संजय खंडेलिया.अति पिछड़ा समाज की अगर बात करें तो कहार जाति से भीम सिंह चंद्रवंशी, प्रजापति से शीला प्रजापति, नाई से अनिल ठाकुर, नोनिया से नंदलाल चौहान, तेली से नितिन अभिषेक, सहनी से राज भूषण निषाद, धानुक से ललन मंडल, दांगी से अमित दांगी हैं. अनुसूचित जाति में चमार से शिवेश राम और श्री सुग्रीव, पासवान से गुरु प्रकाश पासवान हैं।

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