दिल्ली के आबकारी नीति मामले में सेंट्रल ब्यूरो ऑफ इंवेस्टिगेशन (CBI) ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि जांच अंतिम चरण में है. अगर ऐसे समय पर दिल्ली की पूर्व उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया को जमानत दी गई तो जांच प्रभावित हो सकती है. सीबीआई ने कहा कि गवाहों को प्रभावित किए जाने का खतरा है और सबूत भी नष्ट किए जा सकते हैं. उन्होंने कहा कि मनीष सिसोदिया का आम आदमी पार्टी (AAP) और दिल्ली सरकार में काफी रुतबा है, जिसकी वजह से गवाहों के प्रभावित होने का भी खतरा है.27 जुलाई को सीबीआई ने कोर्ट में एफिडेविट जमा किया था. उधर, मनीष सिसोदिया ने भी सुप्रीम कोर्ट में जमानत याचिका दाखिल की है, जिस पर सोमवार को सुनवाई हुई, लेकिन कोर्ट ने सुनवाई 5 अगस्त के लिए टाल दी है. कोर्ट ने प्रवर्तन निदेशालय (ED) को जवाब दाखिल करने के लिए और समय दिया है. ईडी मनीष सिसोदिया के खिलाफ मनी लॉन्ड्रिंग के आरोपों की जांच कर रही है. जस्टिस भूषण रामकृष्णन गवई और जस्टिस के. वी. विश्वनाथन की बेंच ने सिसोदिया की याचिका पर सुनवाई 5 अगस्त तक के लिए टाल दी है.सिसोदिया के पास 18 मंत्रालय थे, गवाह और सबूत प्रभावित हो सकते हैं, सीबीआई ने कहासीबीआई ने एफिडेविट में आगे कहा कि मनीष सिसोदिया के पास दिल्ली सरकार में 18 मंत्रालय रहे हैं इसलिए उनका सरकार में एक रुतबा रहा है. वह एक प्रभावी पर्सनैलिटी हैं, ऐसे में अगर उन्हें बेल दे दी जाती है तो हो सकता है कि गवाह प्रभावित हों और सबूत भी नष्ट कर दिए जाएं, जिससे जांच प्रभावित हो सकती है.सीबीआई ने आगे आरोप लगाया कि 22 जुलाई, 2022 को गृह मंत्रालय ने आबकारी नीति मामला सीबीआई को ट्रांसफर किया और उसी समय मनीष सिसोदिया ने कैबिनेट की एक फाइल और अपना मोबाइल फोन भी नष्ट कर दिया था. सीबीआई ने कोर्ट को यह भी बताया कि मनीष सिसोदिया ने मनचाहे फीडबैक के लिए फेक ईमेल भेजकर लोगों की राय मांगी और इन्हें तत्कालीन एक्साइज कमिश्नर राहुल सिंह को भेजा, जिसमें उनके सह-आरोपी विजय नायर भी शामिल थे. बाद में सबूतों को नष्ट कर दिया गया. सीबीआई ने कोर्ट से कहा कि जांच फाइनल स्टेज में है इसलिए मनीष सिसोदिया को जमानत दी गई तो जांच प्रभावित हो सकती है।