अपने ही गुरुकुल की नाबालिक छात्रा से रेप के मामले में जोधपुर सेंट्रल जेल में अंतिम सांस तक कठोर कारावास की सजा काट रहे आसाराम को बड़ा झटका लगा है. आसाराम की ओर से सुप्रीम कोर्ट में मंगलवार को जमानत याचिका पर सुनवाई होनी थी. लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने आसाराम की जमानत याचिका पर सुनवाई करने से इंकार कर दिया.सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट कहा है की सजा निलंबन के लिए आसाराम हाई कोर्ट जा सकते है. नाबालिक से दुष्कर्म के मामले में जेल में बंद आसाराम सलाखों से बाहर आने के लिए लोअर कोर्ट से लेकर राजस्थान हाईकोर्ट, सुप्रीम कोर्ट व गुजरात हाईकोर्ट में अब तक 16 बार जमानत के लिए प्रयास कर चुके है. आसाराम को सिर्फ फर्जी मेडिकल सर्टिफिकेट प्रकरण में एक बार जमानत मिली है.बता दें कि 2017 में आसाराम की ओर से सुप्रीम कोर्ट में जोधपुर सेंट्रल जेल डिस्पेंसरी का एक फर्जी मेडिकल सर्टिफिकेट पेश किया था, जिसमें कई बीमारियों का हवाला दिया गया था।
जमानत की मांग की गई थी. सुप्रीम कोर्ट ने जब इस मेडिकल सर्टिफिकेट की जांच कराई तो वो फर्जी निकला था जिसके बाद एक अलग मामला इस संबंध में शुरू हुआ. उसमें भी जमानत मिलने के बावजूद आसाराम जेल से बाहर नहीं आ सकते हैं.राजस्थान हाईकोर्ट व गुजरात हाईकोर्ट से जमानात नहीं मिलने से परेशान आसाराम ने अब एक बार फिर सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया. कुछ समय पहले फर्जी दस्तावेज व सर्टिफिकेट के मामले में आसाराम को सुप्रीम कोर्ट से जमानत मिल चुकी है. अब आसाराम ने पोक्सो एक्ट के गंभीर मामले मे भी जमानत लेने के लिए सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया. मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट ने आसाराम की जमानत याचिका पर सुनवाई से साफ का इनकार कर दिया. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि अगर ट्रायल कोर्ट द्वारा सजा के खिलाफ उनकी सजा स्थगन की अपील पर शीघ्र सुनवाई नहीं करता है. आसाराम सजा के निलंबन के लिए राजस्थान हाईकोर्ट में याचिका पेश कर सकते हैं.जोधपुर के सेंट्रल जेल में जोधपुर एससी एसटी कोर्ट व पॉक्सो कोर्ट में करीब 4 साल पहले आसाराम को अंतिम सांस तक कठोर कारावास की सजा सुनाई थी. कोर्ट ने आसाराम को दोषी मानते हुए यह सजा सुनाई. साथ ही शरदचंद व शिल्पी को 20-20 साल की सजा सुनाई थी. इसी मामले की अपील राजस्थान हाईकोर्ट में विचाराधीन है. इससे पूर्व भी आसाराम हाईकोर्ट से जमानत लेने के कई प्रयास कर चुके हैं. लेकिन हर बार उनको निराशा ही हाथ लगी है।