राज्य में शिक्षा विभाग की कमान जब से के के पाठक में संभाली है तब से आए दिन वह कोई ना कोई ऐसा फरमान जारी करते रहते हैं जिसकी वजह से न सिर्फ शिक्षक को बल्कि आज में कार्यरत कर्मचारियों की भी मुश्किलें बढ़ती हुई नजर आती है। इसी कड़ी में शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव के के पाठक तरफ से पारित किए गए आदेश का पालन करते हुए सरकारी स्कूल के बच्चों पर बड़ा एक्शन लिया गया है।शिक्षा विभाग के ACS के के पाठक के आदेश पर एक लाख छात्रों का नामांकन रद्द कर दिया गया। सरकारी स्कूलों में पढ़ाई के लिए नहीं आने वाले छात्रों का नामांकन रद्द किया गया है। सरकारी स्कूलों में नामांकन लेकर निजी स्कूलों में पढ़ाई करने वाले छात्रों का भी नामांकन रद्द कर दिया गया है। एक से अधिक जगहों पर छात्रों का नामांकन होने के कारण और नामांकन डुप्लीकेसी की परंपरा को खत्म करने के मकसद से यह कदम उठाया गया है।
जिले से जो रिपोर्ट प्राप्त हुई है उसके अनुसार सबसे ज्यादा पश्चिम चंपारण और अररिया जिले में नाम काटे गए हैं। इन जिलों में करीब 10 -10 हज़ार बच्चों का नाम काटा गया है। मिली जानकारी के अनुसार, शिक्षा विभाग के प्रमुख सचिव के के पाठक ने एक समीक्षा बैठक की थी और इस बैठक के दौरान सभी जिला के शिक्षा विभाग के पदाधिकारी मौजूद थे। धरण शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव ने एक टास्क दिया था कि जितने भी राज्य के सरकारी स्कूल हैं वहां पर कड़ाई से निरीक्षण करें। करण भैया मालूम करने के लिए कहा गया था कि ऐसे कितने बच्चे हैं जो यह सरकारी स्कूल में एडमिशन लेकर निजी स्कूलों में पढ़ाई कर रहे हैं।वहीं, शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव केके पाठक ने इस दौरान सभी जिलों के प्रमुख शिक्षा पर अधिकारी को यह कहा था कि वह पहले बच्चों को 15 दिन का समय दें उसके बाद भी अगर बच्चे स्कूल नहीं आते हैं तो फिर उनका नामांकन रद्द कर दे ऐसे में अब इसी आदेश का पालन करते हुए सरकारी स्कूलों से एक लाख छात्रों का एडमिशन रद्द कर दिया गया है।दरअसल, पटना में 7 हज़ार छात्रों का नाम काटा गया है जिसमे 4000 छात्र ग्रामीण क्षेत्र के विद्यालय में से आते हैं। रिपोर्ट से मिली जानकारी के अनुसार माध्यमिक उच्च माध्यमिक की अपेक्षा प्राथमिक विद्यालयों में अधिक बच्चों का नाम काटा है इनमें सबसे अधिक 14875 में और 14299 चौथी कक्षा के छात्र हैं। दरअसल इस तरह के नामांकन का मकसद योजना के गलत फायदा को रोकना है, जिन छात्रों का नाम काटा गया है वह एक साथ सरकारी और निजी विद्यालयों में दाखिले लिए हुए हैं। आपको बताते चलें कि, विभाग के अपर मुख्य सचिव के के पाठक ने 2 सितंबर को जिलाधिकरियो को निर्देश जारी किया था और कहा था कि 15 दिनों तक विद्यालय में अनुपस्थित रहने पर छात्र का नामांकन रद्द कर दिया जाए। अगर कोई छात्र तीन दिनों तक लगातार उपस्थित नहीं है तो उसे प्रधानाध्यापक के द्वारा नोटिस जारी किया जाए। इसको लेकर जिला अधिकारियों को निर्देश था कि संबंधित जिला शिक्षा पदाधिकारी के माध्यम से कार्रवाई सुनिश्चित की जाए। यह भी कहा गया था कि विद्यार्थी की ट्रैकिंग की जाए और इस बात की जानकारी ली जाए कि उसका एक ही साथ दो विद्यालयों में नामांकन तो नहीं कर दिया गया है।