मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और पीएम मोदी की मुलाकात को लेकर बिहार में सियासत तेज हो गई है। दोनों नेताओं की मुलाकात के बाद सियासी गलियारे में कयासों का बाजार गर्म हो गया है। दोनों नेताओं की मुलाकात के बाद सवाल उठ रहे हैं कि नीतीश ने नीति आयोग की बैठकों से इतने दिनों तक दूरी बनाए रखा, आखिर क्या वजह है कि वे राष्ट्रपति की भोज में शामिल होने पहुंच गए? लोजपा (रामविलास) के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष और पूर्व सांसद अरुण कुमार ने बताया कि आखिर सीएम नीतीश के मन में क्या चल रहा है?अरुण कुमार ने कहा है कि नीतीश कुमार राजनीतिक तिकड़म में इस देश के सबसे बड़े खिलाड़ी हैं। नीतीश कुमार को न तो बिहार के विकास से कोई मतलब है और ना ही नीति आयोग की बैठक से कोई लेना देना होता है, उनकी सिर्फ एक ही महत्वाकांक्षा है कि वे कैसे बिहार के सिएम बने रहें और जीवन में कम से कम एक बार ही सही देश के प्रधानमंत्र बन जाएं। इन दो चीजों के अलावे नीतीश कुमार किसी और चीज से मतलब नहीं रखते हैं।

उन्होंने कहा कि नीतीश कुमार के मन में कहीं न कहीं अब भी यह सपना है कि पलटी मारते मारते एक बार प्रधानमंत्री जरूर बनेंगे। नीतीश कुमार के जीवन में करिश्मा पहले भी हुआ है। नीतीश कुमार लालू प्रसाद के लिए खैनी बनाने का काम करते थे। जब केंद्र में मंत्री थे तब भी लालू के लिए खैनी बनाते थे। लालू प्रसाद के सामने नीतीश कुमार की कोई हैसियत नहीं थी। नीतीश कुमार ने जॉर्ज फर्नांडिस का इस्तेमाल किया और बिहार के मुख्यमंत्री बन गए। अरुण कुमार ने कहा कि नीतीश कुमार का जितना खेल है उसे अब लोग समझ चुके हैं। जो बीजेपी पहले नीतीश कुमार के खेल में फंस जाती थी वह भी अब सतर्क हो गई है। नीतीश कुमार के मन में अब भी कोई न कोई खेल चल रहा है, यही कारण है कि वे राष्ट्रपति के भोज में शामिल होने के लिए दिल्ली पहुंचे और वहां उनकी मुलाकात प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से हुई। बीजेपी के लोग अब सतर्क हैं ऐसे में नीतीश कुमार का खेल अब सफल नहीं होने वाला है।

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