विपक्षी गठबंधन इंडिया की अब तक तीन बैठकें हो चुकी हैं. पटना, बेंगलुरु और मुंबई मे नेताओं का जमावड़ा हुआ था. तीन अलग-अलग शहरों में मंथन करने के बाद इंडिया गठबंधन की असली चुनौती अब शुरू होने जा रही है. दरअसल गठबंधन दलों के बीच कई राज्यों में सीटों के बंटवारे को लेकर फॉर्मूला तय करना है. ऐसे में दिल्ली में 13 सितंबर को शरद पवार के घर कोऑर्डिनेशन कमेटी की बैठक काफी अहम होगी. सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक यूपी, बिहार में कांग्रेस की भूमिका के अलावा आम आदमी पार्टी को सीट दिए जाने को लेकर अहम चर्चा होगी.उत्तर प्रदेश: सबसे बड़े सूबे में कांग्रेस की राजनैतिक हालात काफी खस्ता है. आगामी लोकसभा चुनाव के लिए कांग्रेस उत्तर प्रदेश में 18-20 सीट चाहती है, जिस पर आसानी से समाजवादी पार्टी का तैयार होना आसान नहीं है. वहीं दूसरा पेंच चंद्रशेखर रावण के चुनाव लड़ने को लेकर है. रावण नगीना लोकसभा सीट से चुनाव लड़ना चाहते हैं लेकिन समाजवादी पार्टी उन्हें अपने कोटे से सीट नहीं देना चाहती है. इसके अलावा राष्ट्रीय लोकदल की सीटों की संख्या पर भी अंतिम फैसला होना है।

सूत्रों के मुताबिक, दबाव बढ़ाते हुए अखिलेश मध्य प्रदेश और राजस्थान में भी अपने लिए सीट मांग सकते हैं.बिहार: उत्तर भारत के सबसे अहम राज्य बिहार में लोकसभा में 40 सीटें हैं. सीटों के बंटवारे को लेकर आम सहमति बनाना सबसे मुश्किल इसी राज्य में है. लालू और नीतीश की महत्वाकांक्षाओं के बीच कांग्रेस 10 सीटों पर दावेदारी ठोक रही है, जबकि लालू नीतीश कांग्रेस को 6 सीटें देने के मूड में हैं, वहीं वाम दल भी अपने लिए सीटें मांग रहे हैं. विधानसभा में चल रहे महागठबंधन को ज्यों का त्यों उतरने की कोशिश लोकसभा में होगी ताकि बीजेपी को न्यूनतम सीटों पर रोका जा सके.वहीं आम आदमी पार्टी की बढ़ती राजनीतिक इच्छाएं भी मुश्किल का सबब बनी हुई है. दिल्ली और पंजाब में अभी तक कांग्रेस और आप के साथ चुनाव लड़ने पर फैसला नहीं हो सका है, दोनों दलों की राज्य इकाइयां खुलकर तलवारें भांज रही हैं. वहीं आम आदमी पार्टी दिल्ली-पंजाब के बदले गुजरात और हरियाणा में सीट चाहती है, जो परेशानी का सबब है.वैसे अब सवाल महाराष्ट्र को लेकर भी हैं क्योंकि, एनसीपी और शिवसेना का बड़ा हिस्सा जाने के बाद अब कांग्रेस वहां अपनी खोई ज़मीन वापस पाना चाहती है और ज़्यादा सीटें लेने का दबाव बनाने की तैयारी में है. दरअसल, एनसीपी, शिवसेना में टूट के पहले कांग्रेस राज्य गठबंधन में तीसरे नम्बर के दल थी और एनसीपी-शिवसेना की जोड़ी के सामने बैकफुट पर थी.सबसे बड़ा सिरदर्द बंगाल है, जहां ममता और लेफ्ट किसी कीमत पर साथ आने को तैयार नहीं हैं. वहीं हालिया उपचुनाव में कांग्रेस समर्थित लेफ्ट उम्मीदवार होने के बावजूद टीएमसी ने त्रिकोणीय मुकाबले में बीजेपी को मात दे दी, वहीं त्रिपुरा में दोनों सीटों पर बीजेपी ने कांग्रेस समर्थित लेफ्ट को हरा दिया. ऐसे में वो कतई झुकने के मूड में नहीं होंगी और बंगाल के लिए फॉर्मूला निकालना एक बड़ी चुनौती है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *