लोकसभा चुनाव 2024 की तैयारियों को लेकर सभी पार्टियां जोर-शोर से जुट गई हैं, लेकिन 2019 की अपेक्षा 2024 में बिहार की राजनीतिक समीकरण में काफी बदलाव देखने को मिल रहा है. अब बदलते समीकरण में किसको फायदा और किसको नुकसान हो सकता है. यह आंकड़ों से समझा जा सकता है. बड़ा सवाल यह है कि क्या एनडीए की स्थिति 2019 वाली हो सकती है या कुछ और?
यहां समझते हैं इस बार क्या है बिहार में राजनीतिक समीकरण.आंकड़ों की बात करें तो 2019 में NDA को बिहार में 53.5 फीसदी वोट के साथ बड़ी सफलता मिली थी, इसमें बीजेपी, जेडीयू और लोक जन शक्ति पार्टी ने मिलकर चुनाव लड़ा था और 40 में से 39 सीटें NDA के खाते में गई थी।साल 2019 में यहां बीजेपी 17 सीटों पर चुनाव लड़ी थी और सभी सीट पर जीत हासिल हुई थी और 23.6 फीसदी वोट मिले थे, जबकि जेडीयू भी 17 सीटों पर चुनाव लड़ी थी लेकिन किशनगंज सीट पर कांग्रेस ने जेडीयू को हरा दिया था. जेडीयू 16 सीटों पर जीत पाई थी और 21.8 फीसदी वोट प्राप्त हुए थे. लोक जनशक्ति पार्टी भी एनडीए में शामिल थी जो 6 सीटों पर चुनाव लड़ी थी और सभी सीटों पर जीत हासिल कर 7.9 फीसदी वोट प्राप्त किए थे।
सबसे बड़ी बात है कि नीतीश कुमार की पार्टी जेडीयू इस बार महागठबंधन के साथ है. ऐसे में बीजेपी के लिए कितनी बड़ी चुनौती होगी और बीजेपी पिछले दो चुनाव के मुकाबले 2024 की सीटों में बढ़त बना पाएगी या नहीं यह देखना दिलचस्प होगा. वहीं आंकड़ा देखें तो साल 2019 में बीजेपी को 23.6 फीसदी वोट प्राप्त हुए थे जबकि 2014 में बीजेपी को 29 फीसदी वोट मिले थे.हालांकि 2019 में 17 सीटों पर ही चुनाव लड़ी थी जबकि 2014 में 30 सीटों पर चुनाव लड़ी थी और 22 सीटों पर जीत हासिल हुई थी, उस हिसाब से 2019 में जेडीयू को मिले वोट में लगभग 5 से 6 फीसदी वोट 2024 में बीजेपी के खाते में टर्नअप हो सकते हैं, क्योंकि जेडीयू को 2019 में 21.8 फीसदी वोट मिले थे परंतु 2014 में जेडीयू को मात्र 16 फीसदी वोट प्राप्त हुए थे और 2 सीटों पर जेडीयू जीती थी.साल 2014 में जेडीयू अकेले चुनाव लड़ी थी. ऐसे में बीजेपी के नेताओं का मानना है कि जेडीयू को जो वोट मिले थे वह बीजेपी का वोट था. लोजपा में कोई खास अंतर नहीं रहा था. 2014 की अपेक्षा 2019 में 1% के आस पास की वृद्धि हुई थी. लोजपा की वोट की वृद्धि से बीजेपी को फायदा हो सकता है. कयास लगाए जा रहे हैं कि 2024 में भी लोजपा के वोट 1 फीसदी में वृद्धि हो सकती है.लोक जनशक्ति पार्टी के अलावा बीजेपी के पास महागठबंधन को टक्कर देने के लिए और विकल्प भी दिख रहे हैं. 2019 में महागठबंधन में कांग्रेस, आरजेडी, उपेंद्र कुशवाहा की पार्टी रालोसपा, मुकेश साहनी की पार्टी वीआईपी और जीतन राम मांझी की पार्टी हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा भी साथ में थी लेकिन आने वाले 2024 के चुनाव में उपेंद्र कुशवाहा एनडीए में आ सकते हैं वे नीतीश कुमार से दूरी बना चुके हैं. 2019 में उपेंद्र कुशवाहा की पार्टी को 3.58 फीसदी वोट प्राप्त हुए थे, हालांकि एक भी सीट पर जीत हासिल नहीं हुई थी।मुकेश साहनी के बीजेपी के साथ जाने के संकेत मिल रहे हैं और इसकी घोषणा वे 25 जुलाई तक कर सकते हैं. जीतन राम मांझी अभी महागठबंधन में हैं लेकिन लोकसभा चुनाव तक महागठबंधन में रहेंगे या नहीं यह कहना मुश्किल है. कयास लग रहा है कि वह बीजेपी में भी जा सकते हैं।
जीतन राम मांझी कई बार बयानों में नीतीश कुमार को सीटों के बंटवारे को लेकर धमकाते भी नजर आए हैं और महागठबंधन पर दबाव बना रहे हैं. अगर मांझी और मुकेश साहनी बीजेपी में शामिल हो जाते हैं तो दलित वोट का फायदा बीजेपी को मिल सकता है और एनडीए का कुनबा भी मजबूत हो जाएगा, क्योंकि लोक जनशक्ति पार्टी पहले से ही बीजेपी के साथ गठबंधन में रही है।अब बात महागठबंधन की करें तो लालू प्रसाद यादव की पार्टी आरजेडी के वोट प्रतिशत में ज्यादा अंतर नहीं रहा है और ज्यादा नफा नुकसान नहीं झेलना पड़ा है. आरजेडी 2019 में एक भी सीट नहीं जीत पाई थी लेकिन 15.4 फीसदी वोट आरजेडी को प्राप्त हुए थे.साल 2014 में आरजेडी 4 सीटों पर जीती थी और 20.5 फीसदी वोट प्राप्त हुए थे तो कांग्रेस 2019 में एक सीट पर जीती थी और उसे 2019 में 7.7 फीसदी वोट प्राप्त हुए थे जबकि 2014 में कांग्रेस को 8.6 फीसदी वोट मिले थे, लेकिन इसके अलावा जो विपक्षी पार्टियां हैं इसमें 2019 में आम आदमी पार्टी को 0.6 फीसदी, सीपीआई को 0.59 फीसदी, सीपीआईएमएल को 0.7 फीसदी, जेएमएम को 0.8 फीसदी एनसीपी को 0.5% इस तरह से वोट प्राप्त हुए थे.ऐसे में यह तो साफ है कि यहां मुख्य मुकाबला बीजेपी और क्षेत्रीय पार्टियों के बीच है. इन सबके बीच सबसे बड़ी बात है कि अगर नीतीश कुमार अपना 2019 की तरह 2024 में भी अपना वोट बैंक बनाए रखने में सफल हुए तो महागठबंधन मजबूत हो सकता है और bjp एवं महा गठबंधन के बीच कड़ी टक्कर होने की संभावना है, लेकिन इन सबके बीच वोट भी मायने रख रहे हैं. 2019 में अन्य वोटों प्रतिशत 14.49 था. अगर वह वोट किसी एक पाले में जाता है तो उस पार्टी को सीधा सीधा सीधा फायदा हो सकता है।