2024 के रण से पहले INDIA में अंर्तद्वंद है. वजह हैं बहुजन समाज पार्टी (बसपा) की राष्ट्रीय अध्यक्ष मायावती. समाजवादी पार्टी (सपा) और राष्ट्रीय लोकदल (आरएलडी) ने साफ कर दिया है कि अगर बसपा गठबंधन का हिस्सा होगी तो वह अलग राह चुन लेंगे. सपा-आरएलडी के कड़े रुख के बाद कांग्रेस ने भी साफ कर दिया कि वह बसपा को गठबंधन में लाने का प्लान नहीं कर रही है. हालांकि दबी जुबान से यह भी कहा जा रहा है कि हम मायावती के आखिरी रुख का इंतजार करेंगे. फिलहाल यूपी में INDIA का मतलब- कांग्रेस+सपा+RLD ही रहने वाला है।कहा जा रहा है कि INDIA में बसपा की एंट्री रोकने के लिए अखिलेश ने कड़ा रुख अख्तियार कर लिया है, क्योंकि अगर मायावती गठबंधन में आती हैं तो अखिलेश को लगता है कि उनकी अहमियत कम हो जाएगी।

आरएलडी भी जानती है कि अगर बसपा आ गई तो पश्चिमी यूपी की कई सीटों पर वह दावेदारी करेगी, जिसपर पिछले कई महीनों से जयंत चौधरी की पूरी टीम तैयारी कर रही है. लेकिन अगर आंकड़ों पर गौर किया जाए तो लगता है कि बसपा का गठबंधन में न आना INDIA को डैमेज कर सकता है।गठबंधन में बसपा को शामिल न करने का बयान देकर कांग्रेस ने रार पर विराम तो लगा दिया है, लेकिन यह पूर्ण विराम नहीं है, क्योंकि कई कांग्रेसी नेता अभी भी बसपा के पक्ष में हैं. इसके पीछे सबसे बड़ी वजह मुस्लिम वोट हैं. अगर बसपा और सपा अलग-अलग लड़ते हैं तो पश्चिमी यूपी और पूर्वी यूपी के कई मुस्लिम बाहुल्य सीटों पर वोटों का बिखराव हो सकता है, जैसा 2014 में हुआ था. 2014 में सपा और बसपा, दोनों ही मुस्लिम बाहुल्य सीटें हार गई थीं।

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