महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव 2024 का बिगुल कभी भी बज सकता है. उससे पहले राज्य में महायुति (बीजेपी, शिवसेना (एकनाथ शिंदे) और अजित पवार वाली एनसीपी) सरकार ने देशी गाय को राज्य पशु का दर्जा दिया है. महाराष्ट्र सरकार का कहना है कि उसने ये फैसला गाय के सांस्कृतिक और प्राकृतिक महत्व को देखते हुए लिया. इसको लेकर पिछले काफी दिनों से मांग की जा रही था।राज्य के कृषि, डेयरी विकास, पशुपालन एवं मत्स्य विभाग की ओर से सोमवार (30 सितंबर) को जारी बयान में कहा गया, “वैदिक काल से भारतीय संस्कृति में देशी गाय की स्थिति, मानव आहार में देशी गाय के दूध की उपयोगिता, आयुर्वेद चिकित्सा, पंचगव्य उपचार पद्धति एवं जैविक कृषि प्रणालियों में गोबर एवं गोमूत्र के महत्वपूर्ण स्थान को ध्यान में रखते हुए अब से देशी गायों को ‘राज्यमाता गौमाता’ घोषित करने को मंजूरी दी गई है।इस फैसले के बारे में बात करते हुए उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने कहा, “देशी गायें हमारे किसानों के लिए वरदान हैं. इसलिए, हमने उन्हें राज्यमाता का दर्जा देने का फैसला किया है. हमने गोशालाओं में देशी गायों के पालन-पोषण के लिए सब्सिडी देने का भी फैसला किया है.”भारत के राज्यों के लिए राज्य पशुओं का चयन प्रजाति की बहुतायत, संकटग्रस्त स्थिति, क्षेत्रीय मूल स्थिति के आधार पर किया जाता है. राज्य पशुओं के चयन का मकसद स्थानीय प्रजातियों पर ध्यान देना और लोगों में पशुओं को लेकर गर्व की भावना पैदा करना होता है. इससे जागरूकता बढ़ती है और संरक्षण को प्रोत्साहन मिलता है. हालांकि किसी राज्य के पशु को घोषित करने के लिए कोई खास प्रक्रिया नहीं है।राजस्थान में चिंकारा को 22 मई, 1981 को राज्य पशु घोषित किया गया था. वहीं, ऊंटों की घटती संख्या को नियंत्रित करने के लिए 2014 में ऊंट को भी राजस्थान का राज्य पशु घोषित कर दिया गया।आंध्र प्रदेश का राज्य पशु काला हिरण है. उत्तर प्रदेश का राज्य पशु बारहसिंगा है. बिहार का राज्य पशु बैल है. छत्तीसगढ़ का राज्य पशु जंगली भैंसा है. दिल्ली का आधिकारिक पशु नीलगाय है. गुजरात का राज्य पशु एशियाई शेर है. महाराष्ट्र का राज्य पशु भारतीय विशाल गिलहरी है. झारखंड का राज्य पशु भारतीय हाथी है।गाय को राज्य का पशु घोषित करने से कुछ बदलाव हो सकते हैं, जिसमें गायों को जबरन गर्भवती बनाना या कृत्रिम गर्भाधान करना गैर-कानूनी हो सकता है, गायों का अप्राकृतिक तरीके से दूध उत्पादन बढ़ाना गैर-कानूनी हो सकता है, दूध न देने वाली गायों को कसाई खानों में बेचने वालों को कड़ी सजा हो सकती है, गायों की सुरक्षा के लिए कड़े कानून बनाए जा सकते हैं, गायों को बूचड़खानों में जाने से रोका जा सकता है, गायों के प्रति अत्याचार और गौ-हिंसा को रोकने के लिए कड़े कदम उठाए जैसी चीजें शामिल हैं।